पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच हुए रक्षा समझौते पर भारत की तरफ से पहली आधिकारिक प्रतिक्रिया आई है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि सरकार को इस समझौते की जानकारी पहले से थी।
भारतीय विदेश मंत्रालय का बयान
मीडिया द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, “हमने पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच हुए रणनीतिक रक्षा समझौते की रिपोर्ट्स देखी हैं। जब इस समझौते पर दोनों देशों के बीच बातचीत चल रही थी, सरकार को तभी से ही इसकी जानकारी थी।” उन्होंने आगे कहा, “हम इस समझौते के हमारी सुरक्षा, क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन कर रहे हैं। सरकार भारत के राष्ट्रीय हितों की हर क्षेत्र में सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।”
क्या है यह समझौता?
सऊदी अरब की राजधानी रियाद के यमामा पैलेस में हुए एक समारोह में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सऊदी अरब के युवराज मोहम्मद बिन सलमान ने इस रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस दौरान पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर भी मौजूद थे। इस समझौते के तहत, यदि किसी एक देश पर हमला होता है, तो उसे दूसरे देश पर भी हमला माना जाएगा। इसी वजह से इसे नाटो जैसे समझौते की तरह देखा जा रहा है। समझौते में परमाणु हथियारों के उपयोग का भी प्रावधान है।
हाल ही में इजरायल के कतर पर हमले के बाद, कतर की राजधानी दोहा में मुस्लिम देशों की एक बैठक हुई थी, जिसमें पाकिस्तान भी शामिल हुआ था। इस बैठक में पाकिस्तान ने नाटो जैसा संगठन बनाने का सुझाव दिया था।
संयुक्त बयान में क्या कहा गया?
हस्ताक्षर समारोह के बाद जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया कि “लगभग आठ दशकों से चली आ रही साझेदारी को आगे बढ़ाते हुए और भाईचारे, इस्लामी एकजुटता, और साझा रणनीतिक हितों के बंधनों पर आधारित दोनों पक्षों ने रणनीतिक पारस्परिक रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए।”