सैन्य अधिकारियों ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में लक्षित किए गए नौ ठिकानों के स्थानों का खुलासा किया है। ये ठिकाने विभिन्न आतंकी संगठनों से जुड़े हुए थे और इनका इस्तेमाल भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधियों की योजना बनाने और उन्हें अंजाम देने के लिए किया जा रहा था। सैन्य अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि ये सभी ठिकाने आतंकी बुनियादी ढांचे का हिस्सा थे और ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य सीमा पार से आतंकवाद को प्रायोजित करने वाले इन नेटवर्क को ध्वस्त करना था। उन्होंने यह भी कहा कि इस कार्रवाई में पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना नहीं बनाया गया था और नागरिकों को नुकसान से बचाने के लिए हर संभव सावधानी बरती गई थी।
पाकिस्तान के भीतर इन ठिकानों पर हमला
- बहावलपुर : यहां जैश-ए-मोहम्मद का मुख्यालय मरकज सुब्हान अल्लाह स्थित था। यह भारत के राजस्थान सीमा के करीब है और जैश की गतिविधियों का एक महत्वपूर्ण केंद्र माना जाता है।
- मुरिदके : लाहौर के पास स्थित यह इलाका लश्कर-ए-तैयबा का गढ़ माना जाता है। यहां मरकज तैयबा नामक परिसर लश्कर का मुख्यालय बताया जाता है, जहाँ आतंकियों को प्रशिक्षण दिया जाता था।
- सरजल/टेहरा कलां (सियालकोट के पास) : यह जैश-ए-मोहम्मद का एक शिविर था, जहाँ आतंकियों को प्रशिक्षण दिया जाता था।
- मेहमुना जोया फैसिलिटी (सियालकोट के पास) : यह हिज्बुल मुजाहिदीन का एक प्रशिक्षण शिविर था, जिसका इस्तेमाल जम्मू और कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को संचालित करने के लिए किया जाता था।
पीओके में निम्नलिखित इन ठिकानों पर कार्रवाई
- बरनाला (भीमबर के पास) : यह लश्कर-ए-तैयबा का एक ठिकाना था, जो नियंत्रण रेखा (एलओसी) के करीब स्थित था।
- कोटली अब्बास (कोटली के पास) : यह भी एलओसी के पास स्थित था और आतंकियों के लिए एक महत्वपूर्ण लॉंचिंग पैड के रूप में इस्तेमाल किया जाता था।
- मस्कर राहील शाहिद (कोटली जिले में) : यह हिज्बुल मुजाहिदीन का एक शिविर था।
- शवाई नाला कैंप (मुजफ्फराबाद के पास) : यह लश्कर-ए-तैयबा का एक शिविर था, जो एलओसी से लगभग 30 किलोमीटर अंदर स्थित था।
- मरकज सैयदना बिलाल (मुजफ्फराबाद के पास) : यह जैश-ए-मोहम्मद का एक महत्वपूर्ण ठिकाना था।