ऑपरेशन सिंदूर को लेकर विपक्ष ने सरकार पर हमला तेज कर दिया है। खासतौर पर अमेरिका की मध्यस्थता की बात पर विपक्ष हमलावर है। विपक्ष इस सैन्य कार्रवाई को लेकर चुप बैठने के मूड में नहीं है और इसे सरकार के खिलाफ एक नए हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहा है। विपक्ष ने सरकार से पीएम की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक और संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है, ताकि इस मुद्दे पर विस्तृत चर्चा हो सके। विपक्ष का कहना है कि सरकार ने इस ऑपरेशन के बारे में संसद को अंधेरे में रखा है और उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है। विपक्ष चाहता है कि सरकार संसद में इस ऑपरेशन के बारे में विस्तृत जानकारी दे और बताए कि इस ऑपरेशन को क्यों और कैसे अंजाम दिया गया।
राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल
विपक्ष ने सरकार पर यह भी आरोप लगाया है कि वह इस ऑपरेशन का इस्तेमाल राजनीतिक लाभ के लिए कर रही है। विपक्ष का कहना है कि सरकार को इस मुद्दे पर राजनीति नहीं करनी चाहिए और इसे राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा मानना चाहिए। विपक्ष की मांग है कि सरकार संसद में इस मुद्दे पर विस्तृत चर्चा करे और सभी दलों को विश्वास में ले। विपक्ष ने यह भी कहा है कि वह इस मुद्दे पर सरकार का समर्थन करने के लिए तैयार है, लेकिन सरकार को पहले उन्हें इस बारे में पूरी जानकारी देनी चाहिए। ऑपरेशन सिंदूर को लेकर विपक्ष के इस रुख से स्पष्ट है कि यह मुद्दा आने वाले दिनों में और भी गरमा सकता है। विपक्ष इस मुद्दे को लेकर सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है और सरकार को संसद में जवाब देने के लिए मजबूर कर रहा है।
पहले भी सबूत मांगे, इस बार दिए तो नया दांव
कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने सर्जिकल और एयर स्ट्राइक के सबूत मांगे थे। इस बार सेना ने वीडियो दिखाकर सबूत पेश कर दिए। लेकिन विपक्ष को लगता है कि भाजपा को इसका रणनीतिक लाभ होगा। ऐसे में वह नहीं चाहता कि पाकिस्तान को कुचलने का लाभ भाजपा और मोदी सरकार को मिले।