भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी ने एक बड़ा बयान देते हुए कहा है कि नौसेना के निरंतर और मजबूत अभियानों, जिसे अनौपचारिक रूप से ‘ऑपरेशन सिंदूर’ कहा जा रहा है, ने पाकिस्तान पर महत्वपूर्ण आर्थिक दबाव डाला है। नौसेना प्रमुख ने स्पष्ट किया कि यह अभियान अभी भी जारी है और हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में भारत की समुद्री श्रेष्ठता स्थापित करने के लिए आवश्यक है।
एडमिरल त्रिपाठी ने कहा कि भारतीय नौसेना की निरंतर उपस्थिति केवल समुद्री डकैती विरोधी अभियानों (Anti-Piracy Operations) तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह अरब सागर और महत्वपूर्ण व्यापार मार्गों पर सुरक्षा और निगरानी को भी सुनिश्चित करती है।
आर्थिक दबाव का तंत्र
नौसेना प्रमुख के अनुसार, पाकिस्तान पर आर्थिक दबाव इसलिए पड़ा है क्योंकि भारतीय नौसेना की क्षेत्रीय उपस्थिति बहुत मजबूत हुई है। भारत ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार मार्गों पर अपनी चौकसी बढ़ा दी है, खासकर हॉर्मुज जलडमरूमध्य और अदन की खाड़ी जैसे प्रमुख क्षेत्रों में।
- व्यापार की लागत में वृद्धि: भारत की प्रभावी समुद्री प्रभुत्व के कारण, पाकिस्तान से संबंधित शिपिंग और व्यापारिक गतिविधियों को अब बढ़ी हुई सुरक्षा लागत (Insurance Premiums) का सामना करना पड़ रहा है।
- नियंत्रण और निगरानी: भारतीय नौसेना लगातार पाकिस्तान के मुख्य बंदरगाहों और उनके समुद्री व्यापार मार्गों पर नजर बनाए हुए है, जिससे उनकी गतिविधियों पर अंकुश लगता है। यह तैनाती क्षेत्र में भारत की समुद्र नियंत्रण की क्षमता को स्पष्ट रूप से दर्शाती है।
एडमिरल त्रिपाठी ने जोर देकर कहा, “हमारा उद्देश्य क्षेत्र में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करना है, लेकिन इस प्रक्रिया में, हम किसी भी शत्रुतापूर्ण गतिविधि को बर्दाश्त नहीं करेंगे।”
मिशन की निरंतरता
नौसेना प्रमुख ने स्पष्ट किया कि यह अभियान किसी विशिष्ट समय-सीमा के लिए नहीं है, बल्कि यह क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा बनाए रखने के लिए एक निरंतर प्रक्रिया है। उन्होंने कहा कि भारतीय नौसेना लगातार अपनी क्षमताओं को बढ़ा रही है और यह सुनिश्चित कर रही है कि भारत का समुद्री हित हमेशा सुरक्षित रहे। यह बयान हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की बढ़ती सामरिक और आर्थिक शक्ति को रेखांकित करता है।


