पिछले सप्ताह अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास हुए विमान हादसे का मलबा अब घटनास्थल से हटाकर एक सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया गया है। जो विमान कभी आसमान में ऊंची उड़ान भरता था, उसके टुकड़े-टुकड़े हुए अवशेषों को बड़े-बड़े ट्रकों पर लादकर ले जाना पड़ा, ताकि जांच एजेंसियां दुर्घटना के कारणों का बारीकी से विश्लेषण कर सकें। यह दृश्य वाकई दुखद था, जो इस बात की गवाही दे रहा था कि कैसे एक पल में सब कुछ खत्म हो सकता है।
अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास एक एयर इंडिया का विमान (बोइंग 787 ड्रीमलाइनर) दुर्घटनाग्रस्त हो गया। यह विमान एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 थी, जो अहमदाबाद से लंदन गैटविक एयरपोर्ट जा रही थी। विमान ने उड़ान भरने के कुछ ही मिनटों बाद नियंत्रण खो दिया और मेघानी नगर में स्थित बीजे मेडिकल कॉलेज के एक हॉस्टल परिसर में जा गिरा। इस हादसे में विमान में सवार 241 यात्री और चालक दल के सदस्य (दो पायलट और दस क्रू मेंबर) और जमीन पर मौजूद 29 लोग मारे गए। इस भीषण दुर्घटना में केवल एक यात्री जीवित बचा, जो एक ब्रिटिश नागरिक है और आपातकालीन निकास के पास बैठा था।
दुर्घटना के तुरंत बाद, नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) और विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) की टीमें घटनास्थल पर पहुंची थीं। उन्होंने मलबे का प्रारंभिक निरीक्षण किया और महत्वपूर्ण साक्ष्य जुटाए। मलबे को सुरक्षित स्थान पर ले जाना जांच प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण चरण है। अब विशेषज्ञ विमान के हर पुर्जे की जांच करेंगे, जिसमें उसके इंजन, पंख और कंट्रोल सिस्टम शामिल हैं, ताकि यह पता चल सके कि दुर्घटना किस वजह से हुई।
मलबा हटाते समय घटनास्थल पर बड़ी संख्या में पुलिस और तकनीकी विशेषज्ञ मौजूद थे। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि मलबे का कोई भी महत्वपूर्ण टुकड़ा क्षतिग्रस्त न हो या खो न जाए। जांचकर्ताओं का अगला कदम विमान के ‘ब्लैक बॉक्स’ (फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर) से डेटा निकालना है, जिससे दुर्घटना से ठीक पहले विमान में क्या हुआ, इसकी एक स्पष्ट तस्वीर मिल सकेगी।
यह दुर्घटना अहमदाबाद हवाई अड्डे के लिए एक बड़ी चिंता का विषय है और इसने विमानन सुरक्षा पर भी कई सवाल खड़े कर दिए हैं। DGCA ने इस घटना की गंभीरता को देखते हुए उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। इस जांच का उद्देश्य केवल दुर्घटना के कारणों का पता लगाना ही नहीं, बल्कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाना भी है, ताकि भारतीय हवाई क्षेत्र सभी के लिए सुरक्षित रहे।