Tuesday, July 16, 2024
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प. बंगाल में ओबीसी के प्रमाण पत्र रद्द.. हाईकोर्ट के फैसले पर गर्माई सियासत

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने अहम फैसला सुनाते हुए 2010 के बाद पश्चिम बंगाल में जारी किए गए सभी ओबीसी प्रमाणपत्रों को रद्द कर दिया है। भाजपा ने आरोप लगाया है कि मुस्लिमों को ओबीसी की सूची में डालकर ये प्रमाण पत्र जारी किए गए थे। वहीं सीएम ममता बनर्जी ने ऐलान कर दिया है कि वे यह आदेश नहीं मानेंगी। हालांकि सीपीएम इस मुद्दे पर तटस्थ है। इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ममता को घेरा है और इसे तुष्टिकरण की राजनीति बताया है।

भाजपा ने दिखा दिया असली रंग

टीएमसी महासचिव अभिषेक बनर्जी ने कहा कि कलकत्ता हाईकोर्ट की दो जजों की बेंच ने ओबीसी आरक्षण को लगभग खत्म कर दिया है। उन्होंने सभी जाति प्रमाणपत्र रद्द कर दिए हैं। वे (भाजपा) सत्ता में आने से पहले अपना असली रंग दिखा रहे हैं। अगर वे सत्ता में आए तो क्या होगा? कुर्मी, आदिवासी, मुंडा, उराँव, संथाल और अन्य लोगों को याद रखना चाहिए कि भाजपा को वोट देने का मतलब है कि आप अपने अधिकारों से वंचित हो जाएंगे। वहीं सीपीआई एम महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि हमने यह फैसला सुना है लेकिन इसके पीछे के कारण क्या हैं, उसे पढऩे के बाद ही हम कुछ कह सकते हैं। फैसले को पूरा पढऩे के बाद ही हम कुछ कह सकते हैं।

घुसपैठिए, रोहिग्याओं को ओबीसी बनाया : पॉल

कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा 2010 के बाद पश्चिम बंगाल में जारी किए गए सभी ओबीसी प्रमाणपत्रों को रद्द करने के फैसले पर मेदिनीपुर लोकसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार अग्निमित्रा पॉल ने कहा कि यह बिल्कुल सही फैसला है क्योंकि ओबीसी श्रेणी में ममता बनर्जी ने मुसलमानों को घुसाया है। तुष्टीकरण की राजनीति करने के लिए बांग्लादेश से आए घुसपैठिए, रोहिग्याओं को पश्चिम बंगाल में जगह दी जा रही है और उन्हें आधार कार्ड, वोटर कार्ड देकर ओबीसी श्रेणी में डाला जा रहा है ताकि उन्हें संरक्षण मिले।

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