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    ट्रंप की ताजपोशी से पहले न्यूक्लियर बम तैनात.. रूस और चीन को सीधा अल्टीमेटम

    अमेरिका में अब ट्रंप युग शुरू होने वाला है। कल यानि 20 जनवरी को डोनाल्ड ट्रंप दूसरी बार राष्ट्रपति की कमान संभालेंगे। दुनिया का सुपर पावर कहा जाने वाला अमेरिका अब आने वाले खतरों से निपटने की तैयारी भी कर रहा है। रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध से अमेरिका की अगुवाई वाले नाटो के देशों में दहशत है। दरअसल नाटो के कई देशों की सीमाएं रूस से लगी हुई हैं। हाल ही में रूस ने यह चेतावनी दी है कि वह परमाणु बम का इस्तेमाल भी कर सकता है। ऐसे में इस खतरे से निपटने के लिए अमेरिका ने यूरोप में अपने सबसे खतरनाक परमाणु बम बी61-12 को तैनात कर दिया है।

    रूस बना रहा 1000 परमाणु बम

    बी61-12 परमाणु बम को फाइटर जेट की मदद से हवा के रास्ते दुश्मन के ठिकानों पर गिराया जा सकता है। रूस ने हाल ही में अपने परमाणु बम को अपग्रेड किया है। ऐसे में अमेरिका ने भी अपनी पुख्ता तैयारी कर ली है। अमेरिका के इस कदम के पीछे चीन भी बड़ी वजह है। चीन परमाणु बम बना रहा है और उसका इरादा 1000 परमाणु बम बनाने का है। ऐसे में रूस औरचीन से बढ़ते खतरे के देखते हुए अमेरिका ने यह कदम उठाया है ताकि दोनों देशों को काबू में रखा जा सके।

    क्या होता है बी61-12 परमाणु बम

    दरअसल बी61-12 परमाणु बम 12 फीट के होते हैं। इसमें 50 किलो टन का वार हेड होता है जो 50000 तन टीएनटी के बराबर तबाही मचाने की क्षमता रखता है। इसे बहुत सटीक हमला करने के लिए डिजाइन किया गया है। इसको इस तरह से बनाया गया है कि परमाणु बम को पायलट कई मील की दूरी से अपने लक्ष्य पर गिरा सकते हैं। इसकी अधिकतम क्षमता 1200 किलो तन है। नया बी61-12 ग्रेविटी बम को अग्रिम मूर्ति पर तैनात किया गया है जिससे नाटो देशों ने राहत की सांस ली है।

    चीन भी बहुत तेजी से परमाणु बम बना रहा

    परमाणु बम की बात करें तो अमेरिका के पास 200 टैक्टिकल न्यूक्लियर बम हैं जिनमें से आधे उसके सहयोगी देशों के यहां तैनात हैं। इनमें बेल्जियम, इटली, जर्मनी, नीदरलैंड और तुर्की शामिल हैं। वहीं रूस के पास ऐसे 2000 टैक्टिकल न्यूक्लियर बम हैं। चीन भी अब बहुत तेजी से परमाणु बम बनकर इन देशों को टक्कर देने के प्रयास में लगा हुआ है। जाहिर है ऐसे में तनातनी और बढ़ाने वाली है। सबकी नजऱें ट्रंप की ओर हैं कि उनके राष्ट्रपति बनने के बाद रूस और चीन पर क्या असर पड़ेगा। साथ ही यूक्रेन-रूस युद्ध और इसराइल-हमास के युद्ध पर भी सबकी नजर टिकी हुई है। देखना होगा कि ट्रंप इन परिस्थितियों से कैसे निपटते हैं। साथ ही उनका व्यवहार भारत से कैसा रहता है, इस पर भी सभी की नजऱें टिकी हुई हैं।

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