समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आज लोकसभा में ‘वंदे मातरम्’ के 150 वर्ष पूरे होने के अवसर पर हुई विशेष चर्चा में हिस्सा लिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गई चर्चा की शुरुआत के बाद, अखिलेश यादव ने अपने विचार रखे और इस बात पर ज़ोर दिया कि राष्ट्रगीत की भावना का सम्मान केवल गायन तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि इसे देश के प्रति अपने व्यवहार और कार्यों में भी दर्शाना चाहिए।
अखिलेश यादव ने अपनी बात रखते हुए कहा, “वंदे मातरम् सिर्फ गाने के लिए नहीं, बल्कि निभाने के लिए होना चाहिए।” उन्होंने कहा कि ‘वंदे मातरम्’ केवल एक गीत नहीं है, बल्कि यह देश की मिट्टी, संस्कृति और यहां के लोगों के प्रति आदर और जिम्मेदारी की भावना है। उन्होंने कहा कि जब हम ‘वंदे मातरम्’ कहते हैं, तो हमें देश के हर नागरिक और हर हिस्से का सम्मान करना चाहिए।
- सपा अध्यक्ष ने कहा कि राष्ट्रगीत की सच्ची भावना को निभाना तब माना जाएगा, जब देश में सामाजिक न्याय हो, किसानों की आय बढ़े और युवाओं को रोजगार मिले। उन्होंने कहा कि किसानों, गरीबों और हाशिए के लोगों के लिए काम करना ही ‘वंदे मातरम्’ की भावना को सही मायने में निभाना है।
- उन्होंने यह भी कहा कि इस पवित्र गीत को राजनीतिक विवादों से दूर रखना चाहिए। यह वह गीत है जिसने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान पूरे देश को एक सूत्र में बांधा था।
सपा और ‘वंदे मातरम्’
अखिलेश यादव ने जोर दिया कि उनकी पार्टी और विचारधारा हमेशा से राष्ट्रगीत और राष्ट्रगान के सम्मान में विश्वास रखती है। उन्होंने कहा कि आज के दिन हम सभी को यह संकल्प लेना चाहिए कि देश को आगे बढ़ाने और इसकी एकता व अखंडता बनाए रखने के लिए मिलकर काम करेंगे, यही ‘वंदे मातरम्’ को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
इस चर्चा में उन्होंने बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय के योगदान को भी याद किया, जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में इस गीत की रचना कर ब्रिटिश शासन को चुनौती दी थी।


