उप्र के प्रयागराज में महाकुंभ के आयोजन में करीब दो माह शेष रहे गए हैं। इस बीच महाकुंभ में साधु-संतों ने गैर-हिंदुओं के प्रवेश पर रोक लगाने की मांग की थी। इस पर जब मीडिया ने उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक से सवाल पूछा तो उन्होंने कहा कि साधु-संतों की जो भी मांगे हैं, कुंभ बढिय़ा हो, बेहतर ढंग से हो, सुव्यवस्थित ढंग से हो, हमारी सरकार उसकी पूरी व्यवस्था करेगी। इस तरह उन्होंने गैर हिंदुओं के प्रवेश के सवाल को टाल दिया।
आस्था से खिलवाड़ न हो
हाल ही में अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने हरिद्वार में कहा था कि महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं की आस्था से खिलवाड़ न हो, इसलिए महाकुंभ में खाने-पीने की दुकानें सिर्फ हिंदुओं को ही चलाने की अनुमति दी जाएं। गैर सनातनियों को खाने-पीने की दुकान चलाने पर रोक लगानी चाहिए। प्रयागराज के संत महात्माओं का कहना है कि महंत रवींद्र पुरी का यह बयान बिल्कुल उचित है और इसमें कुछ भी गलत नहीं है।संत महात्माओं वह सभी लोग इस बयान के समर्थन में हैं और इस पहल का स्वागत करते हैं।
सीएम ने दी थी नसीहत
महंत रवींद्र पुरी के इस बयान के बाद विवाद भी हुआ। जमीयत उलेमा ए हिंद और समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर रहमान बर्क ने इस मांग को सांप्रदायिक आधार पर भेदभाव करने वाला बताया था। इससे पहले भी कुछ संतों ने महाकुंभ में गैर सनातनियों के प्रवेश पर पाबंदी लगाए जाने की मांग की थी। हालांकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अखाड़ा समेत अलग-अलग संप्रदाय के संतों के साथ हुई बैठक में कहा था कि महाकुंभ को लेकर कोई भी नकारात्मक बात ना की जाए.
शाही स्नान और पेशवाई शब्द से भी है आपत्ति
साधु-संतों को शाही स्नान शब्द से भी आपत्ति है। उनका कहना है कि यह शब्द हिंदुओं के पवित्र त्योहार से मेल नहीं खाता और गुलामी का प्रतीक है। इसके स्थान पर राजसी स्नान शब्द का प्रयोग किया जाए। इसी तरह पेशवाई शब्द भी मुगलकालीन है, जिसे प्रयोग न करते हुए अन्य शब्दों का प्रयोग किया जाए।