अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी के भारत दौरे के दौरान एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया। विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात के बाद दिल्ली में आयोजित प्रेस वार्ता में किसी भी महिला पत्रकार को प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई। यह कदम तालिबानी शासन की महिला विरोधी नीतियों को भारतीय ज़मीन पर दोहराने जैसा था, जिसकी तीखी आलोचना हो रही है।
इस मामले पर आधिकारिक तौर पर कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया, लेकिन सूत्रों ने इस प्रतिबंध को ‘अफगान संस्कृति’ की आड़ में लिया गया फैसला बताया है। प्रेस वार्ता में महिला पत्रकारों को बाहर रखना, तालिबान की फितरत को दर्शाता है, जो अफगानिस्तान में महिलाओं की शिक्षा और कार्यक्षेत्र में भागीदारी पर कड़े प्रतिबंध लगाता रहा है।
सोशल मीडिया पर पत्रकारों और यूज़र्स ने इस लैंगिक भेदभाव पर गहरा रोष व्यक्त किया है। कई लोगों ने इसे अस्वीकार्य बताते हुए पुरुष पत्रकारों को विरोध स्वरूप वॉकआउट करने का सुझाव भी दिया।
मुत्ताकी सात दिनों की भारत यात्रा पर हैं और उन्होंने जयशंकर के साथ द्विपक्षीय व्यापार, मानवीय सहायता और सुरक्षा सहयोग जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की। हालांकि, उनकी प्रेस वार्ता में महिला पत्रकारों की अनुपस्थिति ने एक बार फिर तालिबान शासन की कट्टर सोच को उजागर कर दिया, जिससे भारत और अफगानिस्तान के बीच राजनयिक संबंधों की जटिलता भी सामने आई है।