मिस्टर परफेक्टनिस्ट आमिर खान ने एक इंटरव्यू में अपनी फिल्म रंग दे बसंती के क्लाईमैक्स के बारे में बात की है। आमिर ने कहा कि यह पहली ऐसी फिल्म रही, जिसने डिक्लेयर किया कि हिंसा किसी समस्या का समाधान नहीं होता। आमिर ने कहा कि कोई देश परफेक्ट नहीं है और गंदगी साफ करने के लिए खुद ही अपने हाथ गंदे करने होंगे। 2006 में आई फिल्म रंग दे बसंती को आज भी आमिर खान के करियर की अहम फिल्मों में से एक माना जाता है। फिल्म का क्लाइमैक्स काफी चर्चा में रहा था। आमिर ने कहा कि कोई भी देश परफेक्ट नहीं होता, उसे परफेक्ट बनाना पड़ता है।
बदलना पड़ा था क्लाइमैक्स
आमिर ने कहा कि दर्शकों ने रंग दे बसंती का जो क्लाईमैक्स देखा था, वह ओरिजनल क्लाईमैक्स से बिल्कुल अलग था। फिल्म के क्लाइमैक्स पर दोबारा काम करना पड़ा था। आमिर ने जस्ट टू फिल्मी यूट्यूब चैनल को दिए इंटरव्यू में ओरिजनल एंडिंग के बारे में बात की। आमिर ने कहा कि रंग दे बसंती फिल्म में भ्रष्टाचार मंत्री की हत्या का क्लाइमैक्स था। इसके बाद सभी दोस्त इधर-उधर हो जाते हैं, लेकिन बाद में पकड़े जाते हैं और उन्हें मार दिया जाता है। तब आमिर ने तर्क दिया था कि अगर हमने कुछ गलत नहीं किया तो हम क्यों भागें? उनके तर्क को सुनने के बाद मेकर्स ने इसका क्लाईमैक्स बदला और फिर संघर्ष में फिल्म के सभी किरदार शहीद हो जाते हैं। माना जाता है कि इससे फिल्म के किरदारों को सिंपैथी मिली और फिल्म सफल साबित हुई।