नीतीश कुमार की राजनीतिक यात्रा वास्तव में काफी अनूठी और कई उतार-चढ़ावों से भरी रही है। उन्होंने अपने लंबे राजनीतिक करियर में कई नेताओं के साथ गठबंधन बनाया और कई नेताओं ने उनका साथ छोड़ा भी। जिन नामों का आपने जिक्र किया, वे सभी कभी न कभी उनके करीब रहे हैं, लेकिन बाद में अलग हो गए।
जॉर्ज फर्नांडिस: नीतीश कुमार के शुरुआती राजनीतिक जीवन में जॉर्ज फर्नांडिस उनके सबसे करीबी और मार्गदर्शक थे। दोनों ने मिलकर समता पार्टी बनाई थी, जो बाद में जनता दल (यूनाइटेड) बनी। लेकिन बाद के वर्षों में दोनों के रिश्तों में खटास आ गई।
शरद यादव: शरद यादव लंबे समय तक जनता दल (यू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे और नीतीश कुमार के साथ मिलकर काम किया। लेकिन 2017 में बीजेपी के साथ दोबारा गठबंधन करने के नीतीश के फैसले के बाद शरद यादव ने उनसे दूरी बना ली और अपनी अलग पार्टी बना ली।
उपेन्द्र कुशवाहा: उपेन्द्र कुशवाहा भी कई बार नीतीश कुमार के साथ आए और गए। उन्होंने कई बार अपनी पार्टी बनाई और उनका साथ छोड़ा। हाल ही में, उन्होंने जनता दल (यू) छोड़कर अपनी नई पार्टी राष्ट्रीय लोक जनता दल बनाई है।
जीतन राम मांझी: 2014 में नीतीश कुमार ने जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बनाया था, लेकिन बाद में दोनों के बीच मतभेद हो गए और मांझी ने अपनी अलग पार्टी ‘हम’ बना ली। फिलहाल वे एनडीए का हिस्सा हैं।
आरसीपी सिंह: आरसीपी सिंह एक समय नीतीश कुमार के सबसे भरोसेमंद नेता माने जाते थे। उन्हें जनता दल (यू) का राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बनाया गया था, लेकिन बाद में पार्टी के साथ उनके रिश्ते खराब हो गए और उन्होंने पार्टी छोड़ दी।
प्रशांत किशोर: चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने 2015 के चुनाव में नीतीश कुमार के लिए काम किया और उन्हें बड़ी जीत दिलाई। बाद में वे जनता दल (यू) में शामिल भी हुए, लेकिन जल्द ही उनके रास्ते अलग हो गए।
इन सबके बावजूद नीतीश कुमार बिहार की राजनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं। उनकी राजनीतिक कुशलता और दूरदर्शिता के कारण ही वे लंबे समय तक मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बने रहे हैं। उनकी यह क्षमता उन्हें बिहार की राजनीति में एक प्रभावशाली चेहरा बनाती है।