झारखंड से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे अक्सर तीखे बयानों के लिए जाने जाते हैं। लेकिन कभी-कभी वे कुछ ऐसा बोल जाते हैं, जिससे पार्टी की फजीहत हो जाती है। याद कीजिए 2024 के लोकसभा चुनाव में जब भाजपा 400 पार का दंभ भर रही थी। तभी निशिकांत दुबे ने कह दिया कि भाजपा को 400 सीटें इसलिए चाहिए, ताकि वह संविधान में आवश्यक बदलाव कर सके। विपक्ष ने इसी मुद्दे को लपक लिया और इसे मुद्दा बना दिया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने संविधान की किताब लहराई। भाजपा पर संविधान बदलने के साथ आरक्षण खत्म करने का आरोप लगाया और जनता को डराया। नतीजा यह हुआ कि 400 पार का दंभ भरने भाजपा 240 सीटों के आसपास सिमटकर रह गई। अब एक बार फिर निशिकांत ने मुंह खोला है और इस बार सीधे न्यायपालिका पर करारा हमला बोल दिया है। भाजपा ने उनके इस बयान से किनारा कर लिया है। कुल मिलाकर निशिकांत दुबे कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर और दिग्विजय सिंह जैसे साबित हो रहे हैं, जो अक्सर पार्टी को मुसीबत में डाल देते हैं।
इस ताजा बयानबाजी पर विवाद
निशिकांत दुबे ने सुप्रीम कोर्ट को लेकर कुछ विवादास्पद टिप्पणियां की हैं। उन्होंने कहा कि यदि सुप्रीम कोर्ट ही कानून बनाएगा, तो संसद को बंद कर देना चाहिए। उनका मानना है कि कानून बनाने का अधिकार संसद के पास है। सुप्रीम कोर्ट धार्मिक युद्ध को भडक़ाने के लिए जिम्मेदार है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट पर अपनी सीमाओं से परे जाने का आरोप लगाया है। उन्होंने इस बात पर सवाल उठाया कि सुप्रीम कोर्ट राष्ट्रपति को विधेयकों को मंजूरी देने के लिए समय सीमा कैसे निर्धारित कर सकता है। भाजपा ने उनके बयानों से खुद को अलग कर लिया है और उन्हें व्यक्तिगत विचार बताया है। भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने स्पष्ट किया कि भाजपा न्यायपालिका का सम्मान करती है। निशिकांत दुबे के इन बयानों ने न्यायपालिका और विधायिका के बीच शक्तियों के संतुलन को लेकर बहस को जन्म दिया है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि भाजपा पार्टी ने उनके इस बयान से अपने आप को अलग कर लिया है।