इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू पर गंभीर आरोप लग रहे हैं कि उन्होंने अपनी राजनीतिक सत्ता को बचाने और अपनी छवि चमकाने के लिए गाजा युद्ध को जानबूझकर लंबा खींचा। इजरायली मीडिया रिपोर्ट्स और अंदरूनी सूत्रों के हवाले से दावा किया जा रहा है कि नेतन्याहू ने युद्ध से पहले खुफिया एजेंसियों द्वारा दी गई चेतावनियों को नजरअंदाज किया और युद्ध की नाकामी का ठीकरा सेना और सुरक्षा एजेंसियों पर फोड़ने की कोशिश की।
रिपोर्ट्स के अनुसार, गाजा में हमास के 7 अक्टूबर के हमले से पहले इजरायल की खुफिया एजेंसियों ने संभावित खतरों के बारे में कई बार आगाह किया था, लेकिन नेतन्याहू ने उन चेतावनियों को गंभीरता से नहीं लिया। युद्ध शुरू होने के बाद, जब इजरायल को अपेक्षित सफलता नहीं मिली और वैश्विक स्तर पर आलोचना का सामना करना पड़ा, तो नेतन्याहू ने सार्वजनिक रूप से अपनी सेना और खुफिया प्रमुखों पर दोष मढ़ना शुरू कर दिया।
जानकारों का मानना है कि नेतन्याहू ने युद्ध का इस्तेमाल अपनी गिरती लोकप्रियता को सुधारने और अपनी राजनीतिक साख को मजबूत करने के लिए किया। युद्ध के दौरान उनकी सख्त बयानबाजी और सैन्य कार्रवाई को लेकर उनकी अडिगता को ‘इमेज बिल्डिंग’ के तौर पर देखा जा रहा है। इसके साथ ही, यह भी आरोप लग रहे हैं कि नेतन्याहू ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को ईरान पर हमला करने के लिए भी मनाने की कोशिश की थी, ताकि क्षेत्रीय तनाव को और बढ़ाया जा सके, जिससे इजरायल की सुरक्षा चिंताओं को बल मिल सके और उनकी राजनीतिक स्थिति मजबूत हो।
ये आरोप ऐसे समय में सामने आए हैं जब नेतन्याहू सरकार गाजा में युद्ध के संचालन, बंधकों की वापसी और देश में बढ़ती आर्थिक चुनौतियों को लेकर भारी दबाव में है। विपक्ष लगातार उनके इस्तीफे की मांग कर रहा है, और इन नए खुलासों से उनकी कुर्सी पर संकट और गहरा सकता है। इजरायली जनता के बीच भी युद्ध की लंबी अवधि और उसके परिणामों को लेकर असंतोष बढ़ रहा है।