इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ईरान को लेकर अपनी रणनीति में एक नया मोड़ लिया है। एक तरफ उन्होंने यह कहकर दुनिया को चौंका दिया है कि ईरान में सत्ता बदलाव इजरायल का लक्ष्य नहीं है, वहीं दूसरी ओर उन्होंने स्पष्ट किया कि इजरायल, अमेरिका के समर्थन के बिना भी, ईरान के परमाणु ठिकानों को तबाह करने में सक्षम है। नेतन्याहू का यह बयान ऐसे समय आया है जब ईरान और इजरायल के बीच तनाव अपने चरम पर है और क्षेत्र में अस्थिरता बनी हुई है। लंबे समय से इजरायल पर ईरान में सरकार बदलने के एजेंडे पर काम करने के आरोप लगते रहे हैं, जिसे नेतन्याहू ने पहली बार इतने स्पष्ट शब्दों में नकारा है। विश्लेषकों का मानना है कि यह बयान शायद ईरान को उकसावे से बचाने और क्षेत्रीय अस्थिरता को कम करने का एक प्रयास हो सकता है, विशेषकर जब ईरान के भीतर राष्ट्रपति रईसी की मृत्यु के बाद राजनीतिक अनिश्चितता का माहौल है।
नेतन्याहू ने अपनी पुरानी आक्रामक नीति को भी दोहराया। उन्होंने जोर देकर कहा कि अगर ईरान परमाणु हथियार विकसित करने की दिशा में आगे बढ़ता है, तो इजरायल अपने दम पर कार्रवाई करेगा, भले ही उसे संयुक्त राज्य अमेरिका का समर्थन न मिले। नेतन्याहू ने स्पष्ट किया कि इजरायल अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए किसी भी कीमत पर दृढ़ है और ईरान को परमाणु शक्ति बनने से रोकने के लिए हर संभव कदम उठाएगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि नेतन्याहू के इस विरोधाभासी बयान पर ईरान और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय कैसी प्रतिक्रिया देते हैं। क्या यह केवल कूटनीतिक चाल है या इजरायल वास्तव में ईरान के प्रति अपनी रणनीति को नया आकार दे रहा है, यह आने वाला समय बताएगा।