नेपाल में भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया प्रतिबंध के खिलाफ शुरू हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। दो दिनों से चल रहे इन प्रदर्शनों में 20 से ज्यादा लोगों की मौत और सैकड़ों के घायल होने के बाद सरकार पर चौतरफा दबाव था। युवा प्रदर्शनकारियों, जिन्हें ‘जेन-Z’ के नाम से जाना जाता है, ने अपनी मांगों को लेकर काठमांडू की सड़कों पर मोर्चा खोल रखा था।
सोमवार को शुरू हुए हिंसक प्रदर्शनों में प्रदर्शनकारियों ने काठमांडू में संसद भवन को आग लगा दी, जिससे स्थिति और भी बिगड़ गई। स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए सेना को भी तैनात करना पड़ा।
सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री ओली ने अपने इस्तीफे से पहले सेना प्रमुख अशोक राज सिग्देल से मुलाकात की थी, जिन्होंने उन्हें पद छोड़ने की सलाह दी थी। इसके अलावा, गृह मंत्री रमेश लेखक और स्वास्थ्य मंत्री प्रदीप पौडेल सहित कैबिनेट के कई मंत्रियों ने पहले ही नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे दिया था। इस कारण ओली पूरी तरह से राजनीतिक रूप से अलग-थलग पड़ गए थे।
नेपाल में चल रही यह ‘जेन-Z क्रांति’ एक महत्वपूर्ण घटना है, जो दिखाती है कि युवा पीढ़ी अब पुरानी राजनीतिक व्यवस्था से तंग आ चुकी है। वे पारदर्शिता, जवाबदेही और भ्रष्टाचार मुक्त शासन की मांग कर रहे हैं। ओली के इस्तीफे को इन प्रदर्शनकारियों की जीत के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि, यह देखना बाकी है कि ओली के इस्तीफे के बाद देश में राजनीतिक स्थिरता कैसे बहाल होती है।