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    BMC चुनाव में NDA में टकराव : शिंदे जिद पर अड़े, NCP आउट, BJP का अपना प्लान

    मुंबई महानगरपालिका (BMC) के आगामी चुनावों को लेकर महायुति गठबंधन के भीतर हलचल तेज हो गई है। आगामी चुनावों के लिए सीटों के बंटवारे को लेकर जो समीकरण उभर रहे हैं, वे राज्य की राजनीति में बड़े बदलाव का संकेत दे रहे हैं। मुंबई की सत्ता पर काबिज होने के लिए भारतीय जनता पार्टी (BJP) और उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने अपनी बिसात बिछानी शुरू कर दी है। सीटों के बंटवारे और सहयोगियों की भूमिका को लेकर गठबंधन में नई रणनीतियां सामने आई हैं।

    1. एकनाथ शिंदे की 100 सीटों की मांग

    उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने बीएमसी की कुल 227 सीटों में से 100 सीटों पर चुनाव लड़ने की दावेदारी पेश की है। शिंदे गुट का तर्क है कि उनके पास मुंबई में कई मौजूदा पार्षद और मजबूत जमीनी पकड़ है, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहां पारंपरिक रूप से अविभाजित शिवसेना का दबदबा रहा है।

    2. गठबंधन से NCP (अजीत पवार) ‘आउट’?

    इस चुनाव की सबसे चौंकाने वाली खबर यह है कि बीएमसी चुनाव के लिए महायुति के गठबंधन से NCP (अजीत पवार गुट) को बाहर रखा जा सकता है। सूत्रों के मुताबिक, मुंबई में एनसीपी की सीमित ताकत को देखते हुए बीजेपी और शिंदे सेना आपस में ही सीटों का बंटवारा करना चाहती हैं।

    • बीजेपी का तर्क: बीजेपी का मानना है कि मुंबई में लड़ाई सीधे तौर पर ‘असली बनाम नकली’ शिवसेना और बीजेपी बनाम उद्धव गुट के बीच है। ऐसे में एनसीपी को सीटें देने से गठबंधन के जीतने की संभावनाओं पर असर पड़ सकता है।
    • रणनीति: एनसीपी को मुंबई के बाहर अन्य नगर निगम चुनावों में अधिक सीटें देकर बीएमसी से दूर रखने का प्लान है।

    3. बीजेपी का ‘मिशन मुंबई’ और मास्टर प्लान

    बीजेपी इस बार किसी भी कीमत पर बीएमसी से शिवसेना (UBT) का दशकों पुराना कब्जा हटाना चाहती है। बीजेपी का प्लान कुछ इस तरह है:

    • बड़ी भूमिका: बीजेपी खुद 125 से 130 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है।
    • माइक्रो-मैनेजमेंट: बीजेपी ने प्रत्येक वार्ड के लिए ‘विस्तारक’ नियुक्त किए हैं और गुजराती, उत्तर भारतीय तथा मराठी मतदाताओं को लुभाने के लिए अलग-अलग कमेटियां बनाई हैं।
    • शिंदे सेना का उपयोग: बीजेपी चाहती है कि शिंदे सेना उन मराठी बहुल इलाकों में उद्धव ठाकरे के वोट बैंक में सेंध लगाए, जहाँ बीजेपी ऐतिहासिक रूप से कमजोर रही है।

    चुनौतियां और टकराव की स्थिति

    सीटों का यह गणित इतना आसान नहीं है। यदि शिंदे गुट 100 सीटों पर अड़ा रहता है और बीजेपी 130 सीटें चाहती है, तो कुल आंकड़ा 230 के पार चला जाएगा, जबकि सीटें केवल 227 हैं। इसके अलावा, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (RPI) जैसे छोटे सहयोगियों को भी कुछ सीटें देनी होंगी।

    बीएमसी चुनाव केवल स्थानीय निकाय का चुनाव नहीं, बल्कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की प्रतिष्ठा और मुंबई पर वर्चस्व की लड़ाई है। बीजेपी का ‘प्लान 150+’ (गठबंधन के लिए) तभी सफल होगा जब शिंदे और बीजेपी के बीच सीटों का समन्वय बिना किसी विवाद के सुलझ जाए।

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