छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित सुकमा जिले से एक बेहद प्रेरणादायक कहानी सामने आई है। कभी बंदूक थामकर गोलियां चलाने वाले एक पूर्व नक्सली रमेश कुंजाम की बेटी संध्या कुंजाम ने NEET (राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा) क्वालीफाई कर डॉक्टर बनने की दिशा में अपना पहला कदम रख दिया है। यह कहानी दृढ़ संकल्प, शिक्षा की शक्ति और जीवन में बड़े बदलाव की एक शानदार मिसाल है।
संध्या के पिता, रमेश, कभी नक्सली गतिविधियों में शामिल थे। उनका जीवन हिंसा और संघर्ष से भरा था। हालांकि, उन्होंने बाद में मुख्यधारा में लौटने का साहसिक फैसला किया और छत्तीसगढ़ पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। उनके इस कदम ने न केवल उनके जीवन को बदला, बल्कि उनके परिवार के लिए भी एक नई राह खोली। रमेश ने पुलिस के गोपनीय सैनिक के रूप में काम किया और अब वे छत्तीसगढ़ पुलिस में हेड कांस्टेबल के पद पर कार्यरत हैं। यह उनके लिए और उनके परिवार के लिए एक असाधारण उपलब्धि है, जो एक हिंसक अतीत से निकलकर सम्मानजनक जीवन जीने का प्रतीक है।
पिता के इस साहसिक बदलाव और उनके अथक समर्थन से प्रेरित होकर, संध्या कुंजाम ने शिक्षा के माध्यम से अपने परिवार और समुदाय के लिए एक उज्जवल भविष्य बनाने का सपना देखा। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सुकमा से पूरी की और फिर आगे की पढ़ाई के लिए दंतेवाड़ा गईं। इन नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शिक्षा प्राप्त करना अपने आप में एक बड़ी चुनौती है, जहाँ संसाधनों की कमी और सुरक्षा संबंधी चिंताएँ हमेशा बनी रहती हैं। लेकिन संध्या ने विपरीत परिस्थितियों में भी हार नहीं मानी और अपने लक्ष्य पर अडिग रहीं।
संध्या की NEET परीक्षा में यह सफलता न केवल उनके परिवार के लिए गर्व का क्षण है, बल्कि यह उन सभी बच्चों के लिए एक प्रेरणा है जो नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में रहते हुए भी बड़े सपने देखते हैं। उनका डॉक्टर बनने का सपना अब हकीकत के करीब है, और यह दिखाता है कि सही मार्गदर्शन और कड़ी मेहनत से कोई भी बाधा पार की जा सकती है। संध्या कुंजाम की यह उपलब्धि नक्सलवाद से प्रभावित क्षेत्रों में सकारात्मक बदलाव लाने और युवाओं को हिंसा का मार्ग छोड़कर शिक्षा और विकास की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित करेगी। यह साबित करता है कि इच्छाशक्ति और दृढ़ता से हर चुनौती को पार किया जा सकता है।