ऋतिक रोशन और जूनियर एनटीआर स्टारर फिल्म ‘वॉर 2’ बॉक्स ऑफिस पर उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर पाई, जिससे फिल्म के तेलुगु डिस्ट्रीब्यूटर और प्रोड्यूसर नागा वामसी बेहद निराश हैं। उन्होंने अब यशराज फिल्म्स (YRF) और इसके प्रमुख आदित्य चोपड़ा पर दोष मढ़ा है।
अपनी आगामी फिल्म ‘मास जथारा’ के प्रचार के दौरान नागा वामसी का ‘वॉर 2’ की असफलता पर दर्द छलका। उन्होंने कहा, “गलतियां सबसे होती हैं। आदित्य चोपड़ा भारतीय सिनेमा के सबसे बड़े निर्माताओं में से एक हैं। एनटीआर और मैंने यशराज फिल्म्स पर आंख मूंदकर भरोसा किया, लेकिन यह नाकाम रहा।“
वामसी ने बताया कि हालांकि वह फिल्म के निर्माता नहीं थे, लेकिन तेलुगु डिस्ट्रीब्यूटर के तौर पर उन्हें भारी नुकसान झेलना पड़ा। उन्होंने कहा कि गलती YRF की तरफ से हुई, लेकिन आलोचना उन्हें झेलनी पड़ी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, वामसी और उनके पार्टनर्स ने तेलुगु वर्जन के राइट्स लगभग ₹80 करोड़ में खरीदे थे, लेकिन फिल्म के खराब प्रदर्शन के कारण उन्हें बड़ा नुकसान हुआ।
वामसी ने बताया कि उन्हें ऑनलाइन ट्रोलिंग का भी सामना करना पड़ा, लेकिन उन्हें खुशी है कि यह आलोचना उनकी बनाई किसी फिल्म के लिए नहीं थी। वामसी की टीम को हुए नुकसान की भरपाई के लिए YRF ने डिस्ट्रीब्यूटर्स को लगभग ₹22 करोड़ का मुआवजा देने का फैसला किया है।
फिल्म की असफलता के पीछे कई बड़े कारण
1. कमजोर कहानी और कंटेंट (Weak Story/Content)
- कमजोर स्क्रिप्ट: ट्रेड एनालिस्ट्स और दर्शकों का मानना था कि फिल्म की सबसे बड़ी खामी इसकी कमजोर कहानी थी। जबरदस्त एक्शन और स्टाइल के बावजूद, फिल्म में वह दमदार ‘कंटेंट’ नहीं था जो दर्शकों को लंबे समय तक सिनेमाघरों तक खींच सके।
- इमोशनल जुड़ाव की कमी: एक्सपर्ट्स ने बताया कि हाई-ऑक्टेन एक्शन के बीच फिल्म में भावनात्मक (इमोशनल) जुड़ाव की कमी थी। दर्शकों को केवल शोर और एक्शन मिला, जिससे वे किरदारों से कनेक्ट नहीं हो पाए।
- अनावश्यक सीन और लॉजिक की कमी: कुछ दृश्यों को केवल ‘कूल’ दिखने के लिए डाला गया था, जिनका कहानी के प्रवाह से कोई खास मतलब नहीं था, जिससे लॉजिक की कमी महसूस हुई।
2. स्पाई/सुपरहीरो थकान (Spy/Superhero Fatigue)
- स्पाय यूनिवर्स का अतिरेक: लगातार एक ही ‘स्पाय यूनिवर्स’ फॉर्मूले पर फिल्में आने से दर्शकों के बीच ‘एक्शन-थकान’ महसूस की गई। लोगों को कहानी में कोई नयापन या चौंकाने वाला तत्व नहीं मिला।
- खराब टीज़र/ट्रेलर: फिल्म के प्रचार सामग्री (टीज़र, ट्रेलर) को भी उदासीन बताया गया, जिससे रिलीज से पहले ही दर्शकों में वह उत्साह और ‘हाइप’ नहीं बन पाया, जिसकी उम्मीद की जा रही थी।