महाराष्ट्र में औरंगजेब पर सियासत अब भी गर्म है। अब इसमें शिवसेना (यूबीटी) नेता आदित्य ठाकरे कूद पड़े हैं। उन्होंने कहा कि मैंने यह पहले भी कहा है और एक बार फिर कहता हूं कि आज भाजपा की मानसिकता प्राचीन आक्रमणकारियों जैसी ही है। आज मुंबई, पुणे, छत्रपति संभाजी नगर, महिलाओं और किसानों की स्थिति देखिए। ऐसा लगता है जैसे आज यहां मुगलों का शासन चल रहा है। महाराष्ट्र में औरंगजेब को लेकर सियासत समय-समय पर गरमाती रही है। वर्तमान में भी यह मुद्दा काफी चर्चा में है, जिसके कई पहलू हैं। आदित्य ने इस पर भाजपा पर पलटवार किया है।
ऐसे शुरू हुई सियासत
औरंगजेब के मकबरे को हटाने की मांग की मार्च 2025 में हुई थी जब हिंदू दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं ने महाराष्ट्र के खुलताबाद में स्थित मुगल बादशाह औरंगजेब के मकबरे को ध्वस्त करने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया था। उनका मानना है कि यह मकबरा राज्य के गौरव पर एक धब्बा है। इसी दौरान, नागपुर में धार्मिक कपड़े जलाने की अफवाहों के बाद हिंसा भडक़ उठी, जिसमें कई लोग घायल हो गए। इस हिंसा को भी औरंगजेब के मकबरे को लेकर चल रहे विवाद से जोड़ा गया। छत्रपति संभाजी महाराज के जीवन पर आधारित हाल ही में रिलीज हुई फिल्म छावा ने भी इस विवाद को हवा दी है। फिल्म में औरंगजेब द्वारा संभाजी महाराज को क्रूरता से प्रताडि़त कर मारे जाने का चित्रण है, जिससे लोगों की भावनाएं और भडक़ उठी हैं।
नेताओं के बयान और भडक़ी हिंसा
भाजपा और शिवसेना (शिंदे गुट) के कई नेताओं ने भी औरंगजेब के मकबरे को हटाने की मांग का समर्थन किया है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी इस विचार का समर्थन किया है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा है कि मकबरे की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी लेकिन उसका महिमामंडन नहीं होने दिया जाएगा। इस पर मुस्लिम समूहों ने हिंदू दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं द्वारा पवित्र कपड़े से ढके औरंगजेब के मकबरे के पुतले को जलाने का आरोप लगाया है, जिससे दंगे भडक़े। समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आजमी ने फिल्म छावा में औरंगजेब के चित्रण पर सवाल उठाते हुए उसे अच्छा प्रशासक बताया था, जिसके बाद उन्हें विधानसभा से निलंबित कर दिया गया था।
औरंगजेब का मकबरा और उसका महत्व
औरंगजेब का मकबरा महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले के खुलताबाद में स्थित है। अन्य मुगल मकबरों के विपरीत यह एक साधारण कब्र है, जो औरंगजेब की सादगी पसंद जीवनशैली को दर्शाती है। कुछ इतिहासकार मानते हैं कि इस मकबरे को मराठाओं की वीरता के प्रतीक के रूप में देखा जाना चाहिए, जिन्होंने औरंगजेब को दक्कन में उलझाए रखा और मुगल साम्राज्य के पतन का कारण बने।
यह हैं राजनीतिक मायने
महाराष्ट्र में भाजपा और शिवसेना (शिंदे गुट) अपनी हिंदुत्ववादी छवि को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं, जिसके चलते औरंगजेब का मुद्दा उनके लिए महत्वपूर्ण बन गया है। इस विवाद से महायुति (भाजपा, शिवसेना शिंदे गुट, और एनसीपी अजित पवार गुट) के भीतर असहजता भी बढ़ रही है। कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि औरंगजेब के मुद्दे को उछालकर सांप्रदायिक भावनाओं को भडक़ाना और राजनीतिक लाभ उठाना मकसद हो सकता है। बहरहाल अब औरंगजेब के मकबरे के आसपास सुरक्षा बढ़ा दी गई है। पुलिस ने नागपुर हिंसा के संबंध में कई लोगों को गिरफ्तार किया है और मामले की जांच कर रही है। राजनीतिक बयानबाजी अभी भी जारी है, और यह मुद्दा महाराष्ट्र की राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान बनाए हुए है।
विवादास्पद मुगल शासक रहा
औरंगजेब भारतीय इतिहास में एक विवादास्पद मुगल शासक रहा है और उसकी विरासत को लेकर अलग-अलग मत हैं। महाराष्ट्र में इस मुद्दे को लेकर हो रही सियासत ऐतिहासिक तथ्यों, राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं और सामाजिक भावनाओं का एक जटिल मिश्रण है। गौरतलब है कि औरंगजेब के साथ शिवाजी महाराज, संभाजी महाराज और फिर साहूजी महाराज ने कई युद्ध लड़े और मुगल शासक कभी दक्कन को पार नहीं पा सका और अंत में उसकी मृत्यु हो गई।