मध्यप्रदेश सरकार अपने कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए नए साल (2026) में एक बड़ी स्वास्थ्य सौगात देने की तैयारी कर रही है। ‘मुख्यमंत्री आयुष्मान स्वास्थ्य बीमा योजना’ (प्रस्तावित नाम) के तहत अब प्रदेश के लगभग 15 लाख परिवारों को आयुष्मान भारत की तर्ज पर ₹10 लाख तक का कैशलेस इलाज मिल सकेगा।
योजना की मुख्य विशेषताएं
- उपचार की सीमा: योजना के तहत सामान्य बीमारियों के लिए ₹5 लाख और गंभीर बीमारियों की स्थिति में ₹10 लाख तक का मुफ्त इलाज प्रदान करने का प्रस्ताव है।
- कैशलेस सुविधा: अब तक कर्मचारियों को इलाज का खर्च पहले खुद उठाना पड़ता था और बाद में ‘मेडिकल रीइम्ब्र्समेंट’ के लिए दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते थे। अब अस्पताल में सीधे कार्ड के जरिए इलाज होगा।
- दायरा: इस योजना में नियमित सरकारी कर्मचारी, संविदा कर्मचारी, पेंशनभोगी, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, पंचायत सचिव और ग्राम रोजगार सहायक जैसे मैदानी अमले को भी शामिल किया जाएगा।
- अस्पतालों का नेटवर्क: राज्य के भीतर और बाहर के चिन्हित निजी और सरकारी अस्पतालों को इस योजना से जोड़ा जाएगा।
अंशदान और फंडिंग मॉडल
यह योजना पूरी तरह मुफ्त नहीं होगी, बल्कि एक सहभागिता मॉडल पर आधारित होगी:
- कर्मचारी अंशदान: कर्मचारियों के वेतन/पेंशन से श्रेणी के आधार पर ₹250 से ₹1000 प्रति माह की कटौती की जाएगी।
- सरकारी सहयोग: प्रीमियम की शेष राशि का भुगतान राज्य सरकार द्वारा किया जाएगा।
योजना की जरूरत क्यों पड़ी?
वर्तमान व्यवस्था में मेडिकल बिलों के ऑडिट और भुगतान की प्रक्रिया बहुत जटिल है। गंभीर बीमारी की स्थिति में कर्मचारियों को अक्सर इलाज के लिए कर्ज लेना पड़ता है। हरियाणा और राजस्थान जैसे राज्यों में पहले से ही लागू सफल मॉडलों को देखते हुए मध्यप्रदेश सरकार ने भी इसे लागू करने का निर्णय लिया है।
लाभार्थियों का अनुमानित आंकड़ा
| वर्ग | संभावित संख्या |
|---|---|
| नियमित कर्मचारी | ~ 7.5 लाख |
| पेंशनभोगी | ~ 5.0 लाख |
| संविदा व अन्य कर्मचारी | ~ 2.5 लाख |
इस योजना के लागू होने से न केवल कर्मचारियों को आर्थिक सुरक्षा मिलेगी, बल्कि उन्हें इलाज के लिए सरकारी दफ्तरों की लंबी कागजी कार्रवाई से भी मुक्ति मिलेगी।


