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    कैलाश पर्वत है भगवान शिव का घर.. जानें कैसे हुआ चीन का कब्जा

    तिब्बत में स्थित कैलाश पर्वत एक पर्वत श्रेणी है, जिसके पश्चिम और दक्षिण में मानसरोवर व राक्षसताल झील हैं। कैलाश पर्वत श्रृंखला का निर्माण हिमालय पर्वत श्रृंखला के शुरुआती चरणों के दौरान हुआ था। ल्हा चू और झोंग चू के बीच कैलाश पर्वत के उत्तरी शिखर का नाम कैलाश है। इस शिखर की आकृति विराट शिवलिंग की तरह है। शिव पुराण, स्कंद पुराण और विष्णु पुराण जैसे धर्मग्रंथों में वर्णन है कि कैलाश पर्वत भगवान शिव का निवास क्षेत्र है। यहां वे माता पार्वती के साथ विराजते हैं। 1951 में तिब्बत पर कब्जा करने के बाद चीन कैलाश पर्वत की तीर्थयात्रा की अनुमति देता रहा है। माना जाता है कि 1954 के चीन-भारतीय समझौते ने तीर्थयात्रा की अनुमति दी। 1959 के तिब्बती विद्रोह और 1962 के चीन-भारत युद्ध के कारण कई बार चीन ने यात्रा बंद कर दी। कोरोना महामारी के दौरान भी ये यात्रा बंद रही। अब भारत-चीन के बीच हुए एक अहम समझौते में इस यात्रा पर फिर से सहमति बनी है।

    जम्मू-कश्मीर समझौते से चीन को मिला

    इतिहासकारों का दावा है कि कैलाश मानसरोवर और इसके आसपास का इलाका 60 के दशक तक भारत के अधिकार क्षेत्र में आता था। लद्दाख के राजा त्सावांग नामग्याल का शासन क्षेत्र कैलाश मानसरोवर के मेंसर तक था। ये पूरा इलाका भारत, चीन से लेकर नेपाल की सीमा तक फैला था। 1958 के जम्मू-कश्मीर समझौते के मुताबिक मेंसर चीन के कब्जे में चला गया। यह इलाका चीन कब्जे वाले लद्दाख तहसील के 110 गांवों में शामिल था। 1959 में पहली बार चीन ने अपने नक्शे में सिक्किम, भूटान से लगते कैलाश मानसरोवर के बड़े हिस्से को अपने अधिकार क्षेत्र में दिखाया। तब तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने संसद के बाहर और भीतर इसका जोरदार विरोध दर्ज कराया। माना जाता है कि नेहरू ने ये जमीन भले ही चीन को न सौंपी हो, लेकिन वे इसे बचा भी नहीं पाए।

    कैलाश मानसरोवर तीर्थ का यह है महत्व

    कैलाश मानसरोवर तीर्थ को अष्टापद, गणपर्वत और रजतगिरि भी कहा जाता है। कैलाश के बर्फ से ढंके 6,638 मीटर (21,778 फीट) ऊंचे शिखर और उससे लगे मानसरोवर का तीर्थ है। इस प्रदेश को मानसखंड कहा जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जैन धर्म के भगवान ऋषभदेव ने यहीं निर्वाण प्राप्त किया था। इसके अलावा महाभारत काल में युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में इस प्रदेश के राजा ने उत्तम घोड़े, सोना, रत्न और याक के पूंछ के बने काले और सफेद चामर भेंट किए थे। इस पर्वत का निर्माण 30 मिलियन वर्ष पहले हुआ था। कैलाश मानसरोवर यात्रा एक पवित्र तीर्थयात्रा है, जिसे मोक्ष का प्रवेश द्वार माना जाता है। भूगर्भीय परिवर्तन से यहां चार नदियां भी जन्मी थीं, जो अलग-अलग दिशाओं में बहती हैं। ये नदिा हैं सिंधु, करनाली, यारलुंग त्सांगपो यानी ब्रह्मपुत्र और सतलुज।

    अंग्रेजों ने भी किया था आक्रमण

    ब्रिटिश ने इसे कब्जे में लेने के लिए 1903 में अभियान शुरू किया और यह 1904 तक चला। अंग्रेजों ने राजधानी ल्हासा पर आक्रमण किया। इस पर नियंत्रण पाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। तिब्बत को 24 अक्टूबर 1951 को पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना ने अपने अधीन कर लिया था। यह सिर्फ हिंदुओं के लिए यह भगवान शिव का पवित्र निवास नहीं है, बल्कि बौद्ध धर्म में कैलाश पर्वत को कांग रिनपोछे यानी बर्फ के अनमोल रत्न के रूप में नवाजा जाता है। इसे ज्ञान और निर्वाण की प्राप्ति से जुड़ा एक पवित्र स्थल माना जाता है। बौद्ध धर्म में कैलाश पर्वत को मेरू पर्वत के नाम से जाना जाता है। इसे डेमचोक का निवास स्थान माना जाता है। जैनियों के लिए कैलाश पर्वत को अष्टपद के रूप में जाना जाता है। यह उनके पहले तीर्थंकर भगवान ऋषभनाथ से जुड़ा हुआ है।

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