बिहार में अपराध के बढ़ते ग्राफ को लेकर पुलिस और सरकार, दोनों पर विपक्ष का दबाव बढ़ता जा रहा है। इसी बीच, बिहार पुलिस हेडक्वार्टर के एडीजी कुंदन कृष्णन के एक बयान ने नई बहस छेड़ दी है। एडीजी कृष्णन ने बुधवार को मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि “आम तौर पर मई और जून के महीनों में मर्डर की घटनाएं थोड़ी ज्यादा होती हैं।” उनके इस बयान पर कांग्रेस ने तुरंत तंज कसते हुए सरकार पर हमला बोला है।
एडीजी कुंदन कृष्णन ने अपने बयान में आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि मई और जून के महीनों में गर्मी अधिक होने और अन्य सामाजिक-आर्थिक कारकों के चलते अपराधों, विशेषकर हत्याओं में वृद्धि देखी जाती है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि पुलिस इन दिनों अपराध नियंत्रण के लिए विशेष अभियान चला रही है और जल्द ही स्थिति में सुधार होगा।
हालांकि, कांग्रेस ने एडीजी के इस बयान को हास्यास्पद और गैर-जिम्मेदाराना करार दिया है। बिहार कांग्रेस के प्रवक्ता राजेश राठौर ने एडीजी के बयान पर तंज कसते हुए कहा, “तो क्या अब बिहार पुलिस अपराध को नियंत्रित करने के बजाय मौसम बदलने का इंतजार करेगी? क्या अपराधी गर्मी देखकर वारदात करते हैं? यह बयान सरकार और पुलिस की नाकामी को छिपाने का एक बेतुका प्रयास है।” उन्होंने आगे कहा कि सरकार को अपराधों पर नियंत्रण पाने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए, न कि ऐसे अजीबोगरीब तर्क देने चाहिए।
दरअसल, बिहार में पिछले कुछ समय से हत्या, लूट और अपहरण जैसी घटनाओं में तेजी देखी गई है, जिससे कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े हो रहे हैं। विपक्ष लगातार नीतीश कुमार सरकार को इस मुद्दे पर घेर रहा है।
एडीजी का यह बयान ऐसे समय में आया है जब पुलिस पर बढ़ते अपराधों पर लगाम लगाने का भारी दबाव है। यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार और पुलिस इस बयान के बाद विपक्ष के हमलों का कैसे जवाब देती है और आने वाले दिनों में अपराध नियंत्रण के लिए क्या कदम उठाए जाते हैं।