बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया और नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस ने राजनीतिक दलों के बीच आम सहमति न बनने और देश में बढ़ते विरोध प्रदर्शनों के बीच अपने पद से इस्तीफा देने की धमकी दी है। उन्होंने कहा है कि वह ऐसे माहौल में काम जारी रखने में असमर्थ महसूस कर रहे हैं और उन्हें बंधक बनाया जा रहा है। पिछले साल अगस्त में शेख हसीना की सरकार के पतन के बाद मोहम्मद यूनुस ने अंतरिम सरकार का नेतृत्व संभाला था। हालांकि, तब से वह लगातार मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। उन पर कई आरोप लगाए गए हैं, जिनमें कट्टरपंथी इस्लामी समूहों के साथ मिलकर सत्ता में बने रहने की कोशिश करना भी शामिल है।
सेना के साथ तनाव और राजनीतिक विरोध
बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमान के साथ मोहम्मद यूनुस के संबंध अच्छे नहीं बताए जा रहे हैं। जनरल जमान ने हाल ही में यूनुस सरकार की सार्वजनिक निंदा की है और जल्द से जल्द आम चुनाव कराने की मांग की है। वहीं, बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) जैसे विपक्षी दल भी चुनावों के लिए एक स्पष्ट रोडमैप की मांग कर रहे हैं और उनके खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
विवादित नीतियां और भारत के साथ संबंध
मोहम्मद यूनुस पर अल्पसंख्यक हिंदुओं के खिलाफ दमन और भारत के सेवन सिस्टर्स राज्यों को लेकर विवादित बयानबाजी का भी आरोप है। उनकी कुछ कथित नीतियों ने बांग्लादेशी सेना को भी चिंतित किया है, जिससे सत्ता और सेना के बीच दूरियां बढऩे की खबरें हैं।
ग्रामीण बैंक और भ्रष्टाचार के आरोप
नोबेल पुरस्कार विजेता के रूप में मोहम्मद यूनुस को माइक्रोफाइनेंस के जनक के रूप में जाना जाता है, लेकिन ग्रामीण बैंक के संचालन को लेकर भी उन पर भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन के आरोप लगते रहे हैं। शेख हसीना के शासनकाल में भी यूनुस के खिलाफ कई कानूनी मामले दर्ज किए गए थे, जिन्हें उनके समर्थकों ने राजनीतिक प्रतिशोध बताया था। कुल मिलाकर, मोहम्मद यूनुस बांग्लादेश में चौतरफा दबाव का सामना कर रहे हैं। राजनीतिक अस्थिरता, सेना के साथ तनाव और बढ़ते विरोध प्रदर्शनों ने उनकी स्थिति को और जटिल बना दिया है, जिसके कारण उन्होंने इस्तीफा देने की धमकी दी है।