संसद के शीतकालीन सत्र में ‘जी राम जी’ (VB-G RAM G) बिल के पारित होने के बाद राजनीतिक घमासान तेज हो गया है। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर तीखा प्रहार करते हुए आरोप लगाया है कि सरकार ने एक ही दिन में मनरेगा के 20 साल के गौरवशाली इतिहास और उसके मूल ढांचे को ‘ध्वस्त’ कर दिया है। राहुल गांधी ने इस नए कानून को “गरीब विरोधी” और “गांधी विरोधी” करार दिया।
राहुल गांधी के हमले के 5 प्रमुख बिंदु
- गांधी और गरीबों से नफरत: राहुल गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दो चीजों से सख्त नफरत है—महात्मा गांधी के विचार और गरीबों के अधिकार। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार बापू के ‘ग्राम स्वराज’ के सपने को मिटाना चाहती है।
- लोकतंत्र और अधिकारों का हनन: राहुल गांधी के अनुसार, मनरेगा एक ‘अधिकार-आधारित’ (Rights-based) योजना थी, जिसे अब ‘राशन-आधारित’ (Rationed) योजना में बदल दिया गया है। अब काम मांगने पर रोजगार मिलना कानूनी गारंटी नहीं, बल्कि सरकार की मर्जी पर निर्भर होगा।
- दिल्ली से नियंत्रण (Centralization): उन्होंने आरोप लगाया कि नए बिल के जरिए सारी ताकत दिल्ली (केंद्र सरकार) के हाथों में केंद्रित कर दी गई है। अब बजट, नियम और योजनाएं केंद्र तय करेगा, जिससे गांवों और पंचायतों की स्वायत्तता खत्म हो जाएगी।
- राज्यों पर आर्थिक बोझ: राहुल गांधी ने 60:40 के फंडिंग फॉर्मूले पर सवाल उठाते हुए कहा कि राज्यों पर 40% खर्च का बोझ डालना असल में इस योजना को खत्म करने की साजिश है, क्योंकि कई राज्य इतना बड़ा वित्तीय बोझ नहीं उठा पाएंगे।
- महिलाओं और पिछड़ों को नुकसान: उन्होंने चेतावनी दी कि जब रोजगार को सीमित (Rationing) किया जाता है, तो इसका सबसे बुरा असर महिलाओं, दलितों, आदिवासियों और भूमिहीन मजदूरों पर पड़ता है, जिन्होंने कोविड के समय मनरेगा को अपनी ढाल बनाया था।
“सड़क से संसद तक लड़ाई”
राहुल गांधी ने स्पष्ट किया कि विपक्ष इस ‘जनविरोधी’ बिल को आसानी से स्वीकार नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि 20 साल पहले जिस उम्मीद के साथ ग्रामीण भारत को रोजगार की गारंटी दी गई थी, उसे यह सरकार ‘नाम बदलने की सनक’ में खत्म कर रही है। कांग्रेस ने ऐलान किया है कि वे इस मुद्दे को लेकर जनता के बीच जाएंगे और गांव की गलियों से लेकर संसद तक अपना विरोध जारी रखेंगे।


