प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने अपने 11 साल पूरे कर लिए हैं। इस दौरान देश ने कई महत्वपूर्ण बदलाव देखे हैं, जिनकी उपलब्धियां और कमियां दोनों रही हैं। मोदी सरकार ने देश के विकास और कल्याण के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, लेकिन कुछ क्षेत्रों में चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। सरकार का लक्ष्य 2047 तक विकसित भारत बनाना है, जिसके लिए आगे भी कई प्रयास किए जाने हैं।
उपलब्धियां
- आर्थिक विकास : भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक बन गया है। बुनियादी ढांचे का विकास, जैसे हाईवे (जो 2004 में 65,500 किमी से बढक़र 2024 तक 1,46,145 किमी हो गए हैं), रेलवे नेटवर्क और एयरपोर्ट की संख्या में वृद्धि हुई है। मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया और स्टार्टअप इंडिया जैसी योजनाओं ने निवेश और रोजगार के अवसर बढ़ाए हैं। वल्र्ड बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में गरीबों की संख्या 27.1 प्रतिशत से घटकर 5.3 प्रतिशत रह गई है।
- सामाजिक कल्याण योजनाएं : प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 4 करोड़ से अधिक गरीबों को पक्के घर मिले हैं। उज्ज्वला योजना से 10.3 करोड़ से अधिक महिलाओं को मुफ्त रसोई गैस कनेक्शन मिले। स्वच्छ भारत मिशन और बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ जैसी योजनाओं ने सामाजिक क्षेत्रों में सुधार किया है। पीएम किसान योजना के तहत किसानों को आर्थिक सहायता मिली है।
- डिजिटल इंडिया और वित्तीय समावेशन : जनधन योजना के तहत 51 करोड़ से अधिक बैंक खाते खोले गए, जिससे वित्तीय समावेशन बढ़ा। डिजिटल भुगतान प्रणाली को मजबूत किया गया, जिससे कैशलेस लेनदेन को बढ़ावा मिला।
- विदेश नीति : वैश्विक स्तर पर भारत की छवि मजबूत हुई है। प्रधानमंत्री मोदी ने विभिन्न देशों के साथ संबंध सुधारे हैं, जिसमें अमेरिका और यूरोपीय देशों के साथ रणनीतिक साझेदारी बढ़ी है। एक्ट ईस्ट पॉलिसी और नेबरहुड फस्र्ट नीतियों पर जोर दिया गया है।
- पाकिस्तान पर लगाम : मोदी सरकार ने पाकिस्तान पर लगाम कसी है। ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से आतंकियों को करारा जवाब दिया है। सिंधु जल समझौता रद्द कर पाकिस्तान पर गहरी चोट की है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाक को बेनकाब भी किया है।
कमियां और चुनौतियां
- बेरोजग़ारी : कुछ आर्थिक विश्लेषकों का मानना है कि अर्थव्यवस्था में विकास के बावजूद, पर्याप्त रोजगार के अवसर पैदा करने में चुनौतियां रही हैं।
- नोटबंदी और जीएसटी का प्रभाव : नोटबंदी और जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) जैसे बड़े आर्थिक सुधारों के प्रारंभिक चरण में छोटे व्यवसायों और व्यापारियों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
- महंगाई : कुछ समय के लिए महंगाई एक चिंता का विषय बनी रही है, जिससे आम आदमी की जेब पर असर पड़ा।
- सामाजिक ध्रुवीकरण : आलोचकों का मानना है कि इस दौरान सामाजिक और राजनीतिक ध्रुवीकरण बढ़ा है।
- आधारभूत संरचना की चुनौतियां : हालांकि बुनियादी ढांचे का विकास हुआ है, फिर भी कुछ क्षेत्रों में गुणवत्ता और पहुंच को लेकर चुनौतियां बनी हुई हैं, जैसे हाल ही में रेलवे में कुछ दुर्घटनाएं सामने आई हैं।