“मजदूर की बेटी हो अफसर बनने के सपने मत देखो” ये ताने गरीबी और और संघर्ष से युद्ध करने वाले हर व्यक्ति ने कभी न कभी जरूर सुने होंगे।केरल की एस अश्वथी ने भी ऐसे कई ताने सुने लेकिन उसने अपने सपने तो नहीं तोड़ा और आखिरकार आईएएस अफसर बनकर ही दम लिया। सफलता की यह कहानी आज एस अश्वथी के संघर्षो से जुडी हुई है।
कौन है एस अश्वथी ?
एस अश्वथी तिरुवनंतपुरम की रहने वाली है। वह एक मजदूर की बेटी है। उसने बचपन से ही संघर्ष और गरीबी देखी। लेकिन इसके बावजूद उसने यूपीएससी 2020 सिविल सेवा परीक्षा में 481वीं रैंक हासिल की है।
आठवीं क्लास में देखा अफसर बनने का सपना
आठवीं कक्षा के शुरुआती दिनों से ही अश्वथी ने आईएएस अधिकारी बनने का सपना देखा था। इसी सपने को लेकर उन्होंने इंजीनियरिंग का विकल्प चुना और तिरुवनंतपुरम के सरकारी बार्टन हिल इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला ले लिया। अपने अंतिम वर्ष के दौरान टीसीएस कोच्चि नौकरी मिलने के बाद भी एस अश्वथी ने यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी।
नौकरी से दिया इस्तीफा
काम और पढ़ाई के बीच संतुलन बनाते हुए अश्वथी ने 2017 में सिविल सेवा की तैयारी के लिए पूर्णकालिक रूप से समर्पित होने के लिए अपनी आकर्षक आईटी नौकरी से इस्तीफा देने का फैसला किया। उन्होंने केरल राज्य सिविल सेवा अकादमी और तिरुवनंतपुरम में विभिन्न निजी अकादमियों में दाखिला लिया।
अफसर बन गई
एक रिपोर्ट में अश्वथी ने खुलासा किया कि 2020 का प्रयास उनका चौथा प्रयास था। पहले तीन प्रयासों के दौरान प्रारंभिक परीक्षा में असफलताओं का सामना करने के बावजूद, वह निडर रहीं और दृढ़ संकल्प के साथ अपने चौथे प्रयास में शामिल हुईं।उसकी यही मेहनत आखिरकार रंग लाइ और अश्वथी अफसर बन गई।