देश के बड़े उद्योगपति रतन टाटा आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी जिंदादिली और दृृढ़ संकल्प की कायल पूरी दुनिया है। उन्होंने अपने कार्यकाल में टाटा समूह को ऊंचाईयों पर पहुंचाया। राजनीतिक, सिने जगत, खेल जगत से लेकर हर क्षेत्र के लोग उन्हें याद कर अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि दे रहे हैं।
हमेशा देश हित के लिए सोचते थे
आदित्य बिड़ला समूह के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला ने कहा कि यह सिर्फ कॉर्पोरेट जगत के लिए नहीं बल्कि पूरे देश के लिए बहुत बड़ी क्षति है। उनके काम का प्रभाव काफी अद्वितीय है। हमें उनके काम की समृद्धि के माध्यम से उन्हें याद रखना चाहिए। वे हमेशा देश हित के लिए सोचते थे।
मैंने खुद टाटा इंस्टीट्यूट से पढ़ाई की
इसरो अध्यक्ष डॉ. एस सोमनाथ ने कहा कि रतन टाटा का नाम भारत के लगभग सभी क्षेत्रों में औद्योगिक विकास का समानार्थी है। मैंने खुद टाटा इंस्टीट्यूट से पढ़ाई की है। इससे पता चलता है उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में भी एक संस्कृति का निर्माण किया है।
उपलब्धियों के लिए पूरी पुस्तक कम पड़ेगी
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि रतन टाटा के बारे में दो बातें हैं जो सबसे अलग हैं। पहली यह कि वे एक सच्चे दूरदर्शी थे, दूसरी यह कि वे नैतिकता और कॉर्पोरेट प्रशासन में दृढ़ विश्वास रखते थे। आधुनिक भारत का आर्थिक इतिहास जब भी लिखा जाएगा, तब मुझे लगता है कि उनकी उपलब्धियों का वर्णन करने के लिए एक पूरी पुस्तक भी कम पड़ेगी।
विरासत लंबे समय तक देश के लिए मार्गदर्शक रहेगी
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि रतन टाटा भारतीय जगत के ही नहीं बल्कि विश्व के एक सम्मानित उद्योगपति थे। टाटा समूह का नेतृत्व करना अपने आप में बहुत बड़ी बात है। उन्होंने टाटा समूह का नेतृत्व उस समय संभाला, जब टाटा समूह को कई बदलावों की जरूरत थी। टाटा समूह भारतीय उद्योग जगत में एक ध्रुव धारा है, इसमें रतन टाटा का बहुत बड़ा योगदान है। आज रतन टाटा हमारे बीच नहीं हैं लेकिन वे जो विरासत छोडक़र जा रहे हैं वह लंबे समय तक देश के लिए मार्गदर्शक रहेगी।
साधारण इडली, सांभर, डोसा की बहुत सराहना की थी
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल रतन टाटा के साथ अपनी यादें ताजा करते हुए भावुक हो गए। उन्होंने बताया कि जब वे एक बार मुंबई में नाश्ते के लिए घर आए थे, तो हमने केवल साधारण इडली, सांभर, डोसा परोसा था, लेकिन उन्होंने बहुत सराहना की। उनके पास दुनिया के सबसे बेहतरीन रसोइये होंगे, लेकिन उन्होंने उस साधारण नाश्ते की बहुत सराहना की। वे नाश्ता परोसने वाले के प्रति बहुत दयालु थे कि उन्होंने दो घंटे बिताने के बाद मेरी पत्नी से बहुत प्यार से पूछा-क्या आप मेरे साथ एक तस्वीर लेना चाहेंगी? हम वास्तव में ऐसा करना चाहते थे, लेकिन पूछने में शर्म आ रही थी। उन्होंने हमें यह पेशकश की और यही छोटे-छोटे विचारशील चीजें हैं, जो उन्हें रतन टाटा बनाती हैं जिन्हें 140 करोड़ भारतीय और पूरी दुनिया प्यार करती है।