पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने सोमवार को यूएपीए के तहत जेल में बंद निर्दोष कैदियों की रिहाई की मांग को लेकर श्रीनगर में एक विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया। मुफ्ती ने कहा कि उनका प्रदर्शन उन लोगों के लिए है जिनके परिवार कानूनी लड़ाई नहीं लड़ सकते। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह राजनीति नहीं, बल्कि मानवता का मुद्दा है।
महबूबा मुफ्ती ने जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से आग्रह किया कि वह इस मामले पर केंद्रीय गृह मंत्री से बात करें। मुफ्ती ने कहा कि अगर कैदियों को रिहा नहीं किया जा सकता, तो कम से कम उन्हें जम्मू-कश्मीर की जेलों में ही स्थानांतरित कर दिया जाना चाहिए ताकि जब वे बीमार हों तो उनकी देखभाल की जा सके।
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने महबूबा मुफ्ती के प्रदर्शन का समर्थन किया, लेकिन सुझाव दिया कि उन्हें इस मुद्दे को सीधे दिल्ली में गृह मंत्री के समक्ष उठाना चाहिए, क्योंकि जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा संबंधी सभी फैसले केंद्र सरकार द्वारा ही लिए जाते हैं।
दोनों नेताओं के बयान बताते हैं कि वे जेल में बंद कैदियों की स्थिति को लेकर चिंतित हैं। जहाँ महबूबा मुफ्ती ने विरोध प्रदर्शन का मार्ग अपनाया, वहीं उमर अब्दुल्ला ने दिल्ली में सीधी बातचीत का सुझाव दिया। यह घटनाक्रम दर्शाता है कि जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक दल कैदियों के मानवाधिकारों के मुद्दे को गंभीरता से ले रहे हैं। हालाँकि, इस मुद्दे पर अंतिम निर्णय दिल्ली में ही लिया जाएगा।