बांग्लादेश में राजनीतिक और सामाजिक उथल-पुथल के बीच देश की सांस्कृतिक विरासत पर भी हमले हो रहे हैं। नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के कार्यकाल में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि अब भीड़ द्वारा गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के पूर्वजों की ऐतिहासिक हवेली में तोड़फोड़ की खबर सामने आई है। इस घटना से देश में तनाव और बढ़ गया है, खासकर साहित्यिक और सांस्कृतिक हलकों में भारी रोष है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, सिराजगंज जिले के शाहजादपुर क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार विजेता साहित्यकार रवींद्रनाथ टैगोर के पैतृक घर कचहरीबाड़ी में भीड़ ने तोड़फोड़ की है। हमलावरों ने हवेली के भीतर की कलाकृतियों, मूर्तियों और ऐतिहासिक दस्तावेजों को नुकसान पहुंचाया। दीवारों पर आपत्तिजनक नारे भी लिखे गए। यह स्थान बांग्लादेश और भारत दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक धरोहर है, और इस पर हमला देश में बढ़ती असहिष्णुता और अराजकता को दर्शाता है।
स्थानीय पुलिस ने घटना की पुष्टि की है और जांच शुरू कर दी है, लेकिन अब तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। सांस्कृतिक संगठनों और बुद्धिजीवियों ने इस बर्बर कृत्य की कड़ी निंदा की है और सरकार से तुरंत दोषियों को पकड़ने और ऐतिहासिक धरोहरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की है। विश्लेषकों का मानना है कि यूनुस के नेतृत्व में गठित अंतरिम सरकार, जो देश को आम चुनावों की ओर ले जा रही है, को प्रशासन और कानून-व्यवस्था बनाए रखने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसी घटनाओं से यह चिंता बढ़ गई है कि देश का अस्थिर राजनीतिक माहौल सांस्कृतिक विरासत के लिए खतरा बन रहा है। इस घटना ने एक बार फिर दोनों देशों के सांस्कृतिक संबंधों और साझा धरोहरों की सुरक्षा पर बहस छेड़ दी है।