मराठा आरक्षण की मांग को लेकर चल रहा आंदोलन आखिरकार समाप्त हो गया है। इस आंदोलन का नेतृत्व कर रहे मनोज जरांगे ने अपनी भूख हड़ताल खत्म कर दी है। पिछले कई दिनों से चल रही इस हड़ताल ने पूरे महाराष्ट्र का ध्यान खींचा था। इस आंदोलन के दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच तनाव की स्थिति बनी, लेकिन पुलिस के संयम और सूझबूझ से भीड़ बेकाबू नहीं हुई और कोई बड़ी हिंसा नहीं हुई।
भूख हड़ताल से हुई थी शुरुआत
मराठा आरक्षण की मांग को लेकर मनोज जरांगे ने अपनी भूख हड़ताल शुरू की थी। उनकी मुख्य मांग थी कि मराठा समुदाय को कुनबी जाति के तहत ओबीसी श्रेणी में शामिल किया जाए। इस मांग को लेकर लाखों मराठा प्रदर्शनकारियों ने जरांगे का समर्थन किया। यह आंदोलन धीरे-धीरे पूरे राज्य में फैल गया और कई जगहों पर प्रदर्शन हुए।
सरकार ने जारी की अधिसूचना
आंदोलन के दबाव में महाराष्ट्र सरकार ने मराठा समुदाय को कुनबी जाति के प्रमाण पत्र जारी करने की अधिसूचना जारी की। इसके बावजूद, जरांगे ने अपनी भूख हड़ताल जारी रखी और यह मांग की कि सभी मराठाओं को ओबीसी आरक्षण दिया जाए।
हाईकोर्ट के आदेश और आंदोलन का अंत
हाल ही में बॉम्बे हाईकोर्ट ने मनोज जरांगे को भूख हड़ताल खत्म करने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि जरांगे के स्वास्थ्य के लिए यह ज़रूरी है। कोर्ट के आदेश के बाद और सरकार द्वारा सकारात्मक कदम उठाने के आश्वासन के बाद जरांगे ने अपनी भूख हड़ताल खत्म करने का फैसला किया। इसके साथ ही, कई महीनों से चला आ रहा मराठा आंदोलन भी शांत हो गया। यह आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से अपनी मांगों को रखने और सरकार पर दबाव बनाने का एक बड़ा उदाहरण बन गया। पुलिस के संयमपूर्ण रवैये ने भी आंदोलन को हिंसक होने से रोका, जिससे बड़े पैमाने पर जान-माल के नुकसान से बचा जा सका।