प्रयागराज महाकुंभ से कई ऐसी कहानियां निकलकर सामने आ रही हैं जो देश-दुनिया को प्रभावित कर रही हैं। इन्हीं में से एक है दिल्ली से पोस्ट ग्रेजुएट ममता वशिष्ट की, जो शादी के दो माह बाद ही किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर बन गई हैं। बताया जाता है कि 7 साल की उम्र से ही उनका धर्म के प्रति रुझान था। ऐसे में उनकी शादी दिल्ली के संदीप वशिष्ठ से हो गई। लेकिन इसी दौरान महाकुंभ मेला आ गया तो ममता ने सनातन के लिए काम करने की इच्छा जताई। उनकी इस इच्छा का ससुराल वालों ने समर्थन किया और अब वे महामंडलेश्वर बन गई हैं।
15 साल की उम्र में वेद, पुराण और प्रवचन
ममता जब 15 साल की थीं, तभी से उन्होंने वेद, पुराण, श्रीमद् भागवत गीता और श्री रामचरितमानस समेत कई धार्मिक ग्रंथों को पढऩा और सुनना शुरू कर दिया था। वे कई राज्यों में रामकथा, वेद पाठ और धार्मिक प्रवचन कर चुकी थीं। ऐसे में पिछले साल उनकी शादी दिल्ली के संदीप वशिष्ठ से हो गई। लेकिन ममता का मन गृहस्थी में नहीं लगा और और वह सनातन के प्रति झुकती चली गईं। करीब 6 साल पहले उनकी किन्नर महामंडलेश्वर पार्वती स्वामी नंद गिरी धूलिया से संपर्क हुआ। ममता को महसूस हुआ कि किन्नर अखाड़ा सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार में पूरी तरह से शामिल है। इसलिए उन्होंने तुरंत इसमें शामिल होने का फैसला कर लिया। किन्नर अखाड़े की ओर से उन्हें महामंडलेश्वर नियुक्त किया गया और उनका नाम अब स्वामी ममतानंद गिरी हो गया है। उन्होंने कहा कि मैं अपनी गुरु के मार्गदर्शन में दुनियाभर में सनातन धर्म का प्रचार प्रसार करूंगी।
चार महामंडलेश्वर और दो महंत बनाए गए
किन्नर अखाड़ा की महामंडलेश्वर स्वामी डॉक्टर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने चार महामंडलेश्वर और दो महंत को पूरे विधि-विधान के साथ पट्टाभिषेक किया। उन्होंने दिल्ली की ममता वशिष्ट व इंदू और गुजरात के सतीश को महामंडलेश्वर बनाया है। राजस्थान की त्रिज्या और महाराष्ट्र की कमल महंत बनाई गई हैं।