रजनीकांत की हाल ही में रिलीज हुई फिल्म ‘कुली’ को सेंसर बोर्ड द्वारा ‘ए’ सर्टिफिकेट दिए जाने के बाद, फिल्म के निर्माता सन पिक्चर्स ने मद्रास हाई कोर्ट का रुख किया है। ‘ए’ सर्टिफिकेट मिलने का मतलब है कि 18 साल से कम उम्र के दर्शक यह फिल्म सिनेमाघरों में नहीं देख सकते, जिससे फिल्म के कारोबार पर बुरा असर पड़ सकता है।
सन पिक्चर्स का तर्क है कि रजनीकांत के प्रशंसक हर उम्र के हैं और उन्हें बच्चों के साथ मिलकर फिल्म देखने का मौका मिलना चाहिए। निर्माताओं का कहना है कि उनकी फिल्म में ‘केजीएफ’ और ‘बीस्ट’ जैसी फिल्मों के बराबर ही एक्शन सीन हैं, जिन्हें ‘यू/ए’ सर्टिफिकेट दिया गया था। ऐसे में ‘कुली’ को ‘ए’ सर्टिफिकेट क्यों दिया गया, यह सवाल उठता है।
दरअसल, फिल्म ‘कुली’ में रजनीकांत ने एक तस्कर का किरदार निभाया है। फिल्म में सोने की घड़ियों की तस्करी और जबरदस्त एक्शन सीक्वेंस हैं, जिन्हें सेंसर बोर्ड ने हिंसक माना है। इसी वजह से फिल्म को ‘ए’ सर्टिफिकेट मिला।
यह मामला अब हाई कोर्ट में है, जहां इस पर सुनवाई हो रही है। निर्माताओं को उम्मीद है कि उन्हें राहत मिलेगी और फिल्म को ‘यू/ए’ सर्टिफिकेट मिल जाएगा, ताकि रजनीकांत के सभी प्रशंसक इसे परिवार के साथ देख सकें। यह देखना दिलचस्प होगा कि कोर्ट इस मामले में क्या फैसला सुनाता है।
कुली’ को इसलिए मिला ए सर्टिफिकेट
रजनीकांत की फिल्म ‘कुली’ को सेंसर बोर्ड ने ‘ए’ सर्टिफिकेट दिया है, जिसका मुख्य कारण फिल्म में हिंसा और एक्शन दृश्यों की अधिकता है। फिल्म में नागार्जुन ने एक तस्कर का किरदार निभाया है। फिल्म की कहानी के अनुसार, इसमें सोने की घड़ियों की तस्करी, बॉडी डिस्पोज़ मशीन और कई जबरदस्त एक्शन सीक्वेंस हैं, जिन्हें सेंसर बोर्ड ने हिंसक माना। इसी कारण, बोर्ड ने फिल्म को केवल वयस्कों (18 साल से ऊपर) के लिए उपयुक्त पाया।
यह पहली बार नहीं है जब रजनीकांत की किसी फिल्म को ‘ए’ सर्टिफिकेट मिला है। इससे पहले भी उनकी कुछ फिल्मों को वयस्क रेटिंग मिल चुकी है। हालांकि, इस बार फिल्म के निर्माताओं ने इस फैसले को अदालत में चुनौती दी है, यह दर्शाता है कि वे चाहते हैं कि फिल्म बड़े दर्शकों तक पहुंचे।