केरल की मुख्य सचिव शारदा मुरलीधरन आज जिस मुकाम पर हैं, उसे पाने के लिए सभी सपने देखते हैं। शारदा मुरलीधरन ने 31 अगस्त को वी. वेणु के रिटायर होने के बाद मुख्य सचिव का पद संभाला। 1990 बैच की आईएएस अधिकारी शारदा मुरलीधरन पहले अतिरिक्त मुख्य सचिव (योजना और आर्थिक मामले) के पद पर थीं। प्रदेश के महत्वपूर्ण पद पर पहुंचने के बाद भी उनकी रंग, लिंग के आधार पर होने वाले भेदभाव और अपने पति के कार्यकाल से गलत तुलना की जाती है। इस पर उन्होंने बुधवार को एक खुली चिट्ठी लिखी जिसमें उन्होंने रंग, लिंग के आधार पर होने वाले भेदभाव और अपने पति के कार्यकाल से हो रही गलत तुलना पर बात की। शारदा मुरलीधरन ने फेसबुक पर लिखा कि लल मुझे मुख्य सचिव के तौर पर मेरे काम को लेकर एक दिलचस्प टिप्पणी सुनने को मिली है। कहा गया कि मेरा कार्यकाल उतना ही काला है, जितना मेरे पति का सफेद था। शारदा मुरलीधरन ने अपने बचपन की एक बात भी बताई कैसे उन्होंने अपनी मां से अगले जन्म में गोरी त्वचा पाने की इच्छा जताई थी। उन्हें लगता था कि गोरा रंग ही सुंदरता और स्वीकार्यता है।
मैं सहमत हूं तो चलिए, फिर से शुरू करते हैं
मुख्य सचिव ने कहा कि मैंने सुबह एक पोस्ट लिखी थी, जिसे बाद में हटा दिया क्योंकि मुझे बहुत सारे जवाब मिल रहे थे। मैं इसे फिर से पोस्ट कर रही हूं, क्योंकि कुछ शुभचिंतकों ने कहा कि इसमें कुछ ऐसी बातें हैं जिन पर चर्चा होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मैं सहमत हूं तो चलिए, फिर से शुरू करते हैं।
बच्चों ने हमेशा किया सपोर्ट
मुरलीधरन ने आगे कहा कि काले रंग को क्यों बुरा माना जाता है? काला रंग तो ब्रह्मांड का सबसे बड़ा सच है। यह ऊर्जा का सबसे शक्तिशाली रूप है। ऑफिस के लिए ड्रेस कोड, शाम की चमक, काजल का सार, बारिश का वादा, सब कुछ काला है। मुरलीधरन ने अपने बच्चों को धन्यवाद दिया कि उन्होंने अपने रंग को अपनाने में मदद की। कैसे उनके बच्चों ने अपनी काली विरासत पर गर्व किया और उन्हें यह समझने में मदद की कि काला सुंदर है और काला बहुत खूबसूरत है। बच्चों ने वहां सुंदरता देखी, जहां मुझे कुछ भी नहीं दिखता था। जिन्होंने मुझे देखने में मदद की कि काला सुंदर है। लेकिन मुझे काला रंग पसंद है।