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    छत्तीसगढ़ में मक्के की खेती से आएगी समृद्धि, इथेनॉल के 3 प्लांट और लगेंगे : अमित शाह

    केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने छत्तीसगढ़ के रायपुर में राज्य में सहकारिता के विस्तार से संबंधित समीक्षा बैठक की। अमित शाह ने छत्तीसगढ़ के सभी 33 जि़लों में पानी समिति के रूप में प्राथमिक कृषि साख समिति का शुभारंभ भी किया। उन्होंने कहा कि इथेनॉल उत्पादन के लिए एनसीसीएफ, नेफेड और राज्य के बीच अनुबंध हो जिससे किसानों को मक्के की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। मक्के की खेती में लागत भी कम है और केन्द्र सरकार द्वारा किसानों का सारा मक्का अच्छे न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदा जा रहा है। अमित शाह ने कहा कि किसानों के कृषि उत्पाद की बिक्री के लिए ‘पैक्स‘ द्वारा नेफेड और एनसीसीएफ पोर्टल पर शत-प्रतिशत पंजीकरण होना चाहिए।

    अभी सिर्फ एक मिल में इथेनॉल प्लांट

    अमित शाह ने कहा कि हर मंडी के हर व्यापारी, ‘पैक्स‘ और सहकारी संस्था का खाता जि़ला सहकारी बैंक में खोलना अनिवार्य है। छत्तीसगढ़ में 4 सहकारी चीनी मिलें हैं, लेकिन इनमें से सिर्फ एक मिल में इथेनॉल उत्पादन प्लांट है। बाकी 3 सहकारी चीनी मिलों में 6 महीने के अंदर मल्टी-फीड इथेनॉल उत्पादन प्लांट लगाए जाएं, जिससे मक्का, गन्ना आदि से इथेनॉल उत्पादन किया जा सके। शाह ने कहा कि इसमें केन्द्र सरकार पूरी तरह मदद करेगी। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में मक्के और दलहन की खेती को बढ़ावा देने की जरूरत है और इसके लिए राज्य के कृषि विभाग को पहल करनी चाहिए। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, केन्द्रीय सहकारिता राज्यमंत्री मुरलीधर मोहोल, छत्तीसगढ़ के उप मुख्यमंत्री अरुण साव, सहकारिता मंत्री केदार कश्यप और केन्द्रीय सहकारिता मंत्रालय के सचिव डॉ. आशीष कुमार भूटानी उपस्थित थे। अमित शाह ने ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान के तहत ‘पीपल फॉर पीपुल‘ कार्यक्रम के अंतर्गत पौधारोपण और छत्तीसगढ़ सरकार के विभिन्न विकास कार्यों का लोकार्पण भी किया।

    पीएम मोदी का सपना साकार करेंगे

    केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सहकार से समृद्धि के स्वप्न को साकार करने के लिए देश की हर पंचायत में एक सहकारी समिति का गठन किया जाएगा। छत्तीसगढ़ सरकार को संपूर्ण जनजातीय विकास के लिए एक नई पब्लिक डेयरी योजना बनानी चाहिए, जो पैक्स, डेयरी और मात्स्यिकी सहकारी संस्था का काम करेगी। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ की सभी 2058 ‘पैक्स‘ ने मॉडल बाय-लॉज को अपनाया है। राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस का उपयोग छत्तीसगढ़ में ड्राई एरिया ढूंढने के लिए करना चाहिए जिससे सहकारिता के विस्तार में मदद मिलेगी। उन्होंने बल दिया कि कम्प्यूटराइजेशन होने के साथ ही हर ‘पैक्स‘ को सीएससी बनाई चाहिए, जिससे ‘पैक्स‘ द्वारा अनेक गतिविधियों का लाभ ग्रामीण जनता तक पहुंच सके।

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