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    दिल्ली में कम वोटिंग ने बढ़ाया टेंशन.. किसे होगा नुकसान, किसे फायदा?

    दिल्ली में विधानसभा चुनाव हो चुके हैं और इसके फाइनल आंकड़े भी आ चुके हैं। रात 11.30 बजे तक दिल्ली के 1.6 करोड़ मतदाताओं में से 60.4 प्रतिशत ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया है। अब आप, बीजेपी और कांग्रेस समेत 699 उम्मीदवारों का भाग्य ईवीएम में बंद हो चुका है। 2008 के बाद से यह सबसे कम मतदान है। इससे पहले इतने कम मतदान का आंकड़ा 2008 था, जब केवल 57.8 प्रतिशत लोगों ने वोट किया था। 2013 में मतदान प्रतिशत 66 फीसदी था, जबकि 2015 में 67.5 प्रतिशत रिकॉर्ड वोटिंग हुई थी। 2020 के चुनावों में 5 प्रतिशत की गिरावट थी और 62.8 प्रतिशत लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। 2008 में कांग्रेस को विजय मिली थी, जबकि 2013 में त्रिशंकु विधानसभा बनी और आप ने दो साल तक कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाई थी। 2015 और 2020 में आप को बंपर सीटें मिली थीं।

    मुस्तफाबाद में सबसे ज्यादा वोटिंग

    2024 के लोकसभा चुनावों में 58.6 प्रतिशत मतदान हुआ था, जिसकी तुलना में 2025 में 1.8 प्रतिशत अधिक हुआ है। मुस्लिम बहुल मुस्तफाबाद में सबसे अधिक 69 प्रतिशत मतदान हुआ। सीलमपुर में 68.7 और गोकलपुर के आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र में 68.3 प्रतिशत वोट पड़े। महरौली में सबसे कम 53 प्रतिशत मतदान हुआ और मॉडल टाउन में 53.4 प्रतिशत मतदान हुआ।

    भाजपा की सरकार बनना तय?

    2015 और 2020 में हुए बंपर मतदान से आम आदमी पार्टी को बंपर सीटें मिली थीं। अब कम मतदान होने से आप को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। माना जाता है कि बीजेपी के वोटर फिक्स हैं और उन्होंने आगे आकर मतदान किया। ऐसा हुआ और एग्जिट पोल के आंकड़े सटीक बैठे तो भाजपा की सरकार बनना तय हो जाएगा। बहरहाल 8 फरवरी तक इंतजार करना होगा, जब नतीजों का ऐलान होगा।

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