हर साल कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का पावन पर्व मनाया जाता है। इस दिन समुद्र मंथन से प्रकट हुए भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है, जो अपने हाथ में अमृत से भरा कलश लेकर आए थे। साथ ही, इस दिन धन, सुख और समृद्धि की देवी मां लक्ष्मी का पूजन भी विधिपूर्वक किया जाता है। पौराणिक मान्यता है कि धनतेरस के दिन मां लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण के लिए आती हैं। यदि घर स्वच्छ हो और दीपों से प्रकाशित हो, तो देवी लक्ष्मी प्रसन्न होकर उसमें वास करती हैं और घर में धन-संपत्ति की वृद्धि होती है।
धनतेरस की कथा: प्राचीन काल में एक बार भगवान विष्णु ने पृथ्वी लोक पर भ्रमण करने की इच्छा व्यक्त की। जब वे जाने लगे, तो माता लक्ष्मी ने भी उनके साथ जाने का आग्रह किया।
भगवान विष्णु ने माता लक्ष्मी के सामने एक शर्त रखी कि उन्हें उनकी आज्ञा का पालन करना होगा। माता लक्ष्मी ने सहर्ष यह शर्त मान ली।
पृथ्वी पर आने के बाद, भगवान विष्णु दक्षिण दिशा की ओर जाने लगे और माता लक्ष्मी से वहीं ठहरने को कहा। परंतु सुंदरता और आकर्षण की देवी माता लक्ष्मी प्रभु की आज्ञा का उल्लंघन करते हुए चुपचाप उनके पीछे-पीछे चल दीं।
रास्ते में उन्हें एक सुंदर सरसों का खेत दिखाई दिया, जिसकी हरियाली और पीले फूलों ने माता का मन मोह लिया। वे वहां रुकीं, सरसों के फूलों से अपना श्रृंगार किया और पास में लगे गन्ने का रस पीया।
यह दृश्य देखकर भगवान विष्णु क्रोधित हो गए। उन्होंने माता लक्ष्मी को आज्ञा का उल्लंघन करने के लिए दंड दिया और कहा, “अब तुम्हें बारह वर्षों तक इस किसान के घर निवास करना होगा।“
भगवान का वचन सत्य हुआ। माता लक्ष्मी को बारह वर्षों तक उस गरीब किसान के घर रहना पड़ा। माता लक्ष्मी के वास से वह किसान देखते ही देखते धन-धान्य से भर गया और उसका घर संपन्नता से चमक उठा।
जब बारह वर्ष पूरे हुए, तो भगवान विष्णु माता लक्ष्मी को वापस लेने आए। लेकिन किसान, जो लक्ष्मी के आगमन से सुखी हो चुका था, उन्हें छोड़ने को तैयार नहीं था।
तब माता लक्ष्मी ने उसे प्रेमपूर्वक समझाया, “पुत्र! मैं वर्ष में एक दिन तुम्हारे घर जरूर आऊंगी। यदि तुम कार्तिक मास की त्रयोदशी के दिन अपने घर को स्वच्छ रखोगे, दीपक जलाओगे और श्रद्धा से मेरा पूजन करोगे, तो मैं सदा तुम पर अपनी कृपा बनाए रखूंगी।”
किसान ने माता की बात मानी और विधिपूर्वक पूजन किया। तभी से यह परंपरा चली आ रही है कि धनतेरस के दिन घर की साफ-सफाई की जाती है, दीप जलाए जाते हैं और माता लक्ष्मी का पूजन कर धन, सुख और समृद्धि की कामना की जाती है।