झारखंड पुलिस को उस समय बड़ी सफलता मिली जब, कुख्यात गैंगस्टर अमन साहू को मुठभेड़ में मार गिराया गया। पुलिस उसे रायपुर से रांची ले जा रही थी। गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हो गई और मुठभेड़ में वह मारा गया। पुलिस का दावा है कि साहू ने पुलिस पर फायरिंग की थी, जिसके जवाब में पुलिस ने कार्रवाई की। साहू का आतंक सिर्फ छत्तीसगढ़ में ही नहीं कई राज्यों में फैला हुआ था। वह लॉरेंस विश्नोई का दोस्त था और 148 दिनों से रायपुर सेंट्रल जेल में बंद था। उसके तार मलेशिया और कनाडा तक फैले हुए थे।
यह है पुलिस की कहानी
पुलिस का कहना है कि अमन ने पुलिस का हथियार छीनकर फायरिंग शुरू कर दी। जवाबी कार्रवाई में उसे मार गिराया गया। उसे रांची में एक कोयला व्यापारी पर गोलीबारी के मामले में पूछताछ के लिए लाया गया था। हालांकि पुलिस की मुठभेड़ ने कई सवाल भी खड़े कर दिए हैं। अमन साहू का असली नाम अमन साव था। वह एक कुख्यात गैंगस्टर था, जिसका आतंक झारखंड के आठ जिलों में फैला था। उसका गिरोह रंगदारी वसूलने, कोयला व्यापारियों, बिल्डरों और ठेकेदारों को धमकाने के लिए जाना जाता था। उसके खिलाफ 50 से ज्यादा मामले दर्ज थे। 7 मार्च को उसने रांची में एक कोयला व्यापारी बिपिन मिश्रा पर गोलियां चलवाई थीं। इसी मामले में पूछताछ के लिए उसे रायपुर से रांची लाया जा रहा था। उसने रायपुर के बड़े बिल्डर पर भी फायरिंग करवाई थी। इसी मामले में वह रायपुर सेंट्रल जेल में 148 दिनों से बंद था। वह जेल में रहकर भी अपने गैंग संचालन कर रहा था और लोगों से वसूली करता था।
लॉरेंस का था बेहद करीबी
अमन साहू का सोशल मीडिया अकाउंट विदेशों से संचालित होता था। उसके नेटवर्क और गैंग के बारे में और जानकारी जुटाई जा रही है। वह कुख्यात गैंगस्टर अमन साहू लॉरेंस बिश्नोई का करीबी दोस्त रहा है। लॉरेंस के इशारे पर उसके शूटर कसी की भी जान ले लेते थे। साहू का फ़ेसबुक अकाउंट अमन सिंह नाम का एक शख्स कनाडा से चलाता था। एक और अकाउंट मलेशिया से सुनील राणा नाम का शख्स ऑपरेट करता था। वह बिश्नोई को गुर्गे सप्लाई करता था और बदले में उसे हाईटेक हथियार मिलते थे। अमन साहू और लॉरेंस बिश्नोई के बीच मयंक सिंह उर्फ सुनील मीणा मध्यस्थता का काम करता था।