हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने आज ‘हरियाणा नगर शहरी निर्मित-योजना सुधार नीति, 2023’ की घोषणा की है। इस नीति का उद्देश्य कम से कम 50 वर्षों से अस्तित्व में आने वाली नियोजित योजनाओं के भीतर आवासीय भूखंडों को व्यावसायिक उपयोग में बदलने की अनुमति देना है। अब यह यह शहरी विकास परिदृश्य के भीतर उभरती जरूरतों और मांगों को पूरी करेगा।
खट्टर कैबिनेट में हुआ फैसला
मुख्यमंत्री ने आज यहां कैबिनेट बैठक की अध्यक्षता करने के बाद कहा कि पिछले कुछ वर्षों में, व्यवस्थित शहरी विकास को सुविधाजनक बनाने के लिए नगर निगम क्षेत्रों में मॉडल टाउन योजनाएं, पुनर्वास योजनाएं, टाउन प्लानिंग योजनाएं और सुधार ट्रस्ट योजनाओं सहित विभिन्न योजनाबद्ध योजनाएं लागू की गई हैं। बाद में इन योजनाओं को प्रबंधन और रखरखाव के लिए संबंधित नगर पालिकाओं को सौंप दिया गया। हालाँकि, बदलती परिस्थितियों ने भूखंड मालिकों को आवासीय भूखंडों को गैर-आवासीय उद्देश्यों के लिए परिवर्तित करने के लिए प्रेरित किया है, जिनकी मूल रूप से अनुमति नहीं थी। इसी के फलस्वरूप मानदंडों और प्रक्रियाओं की स्थापना करके ऐसे रूपांतरणों को विनियमित करने की आवश्यकता उत्पन्न हुई।
सीएम खट्टर ने दी योजना की जानकारी
सीएम खट्टर ने बताया कि यह नीति हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी), हाउसिंग बोर्ड (हरियाणा), हरियाणा राज्य औद्योगिक बुनियादी ढांचा विकास निगम और टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग द्वारा शासित क्षेत्रों को छोडक़र नगरपालिका सीमा के मुख्य क्षेत्रों के भीतर नियोजित योजनाओं पर लागू होगी। यह अन्य सरकारी नीतियों/नियमों के तहत उप-विभाजन की अनुमति वाले भूखंडों पर भी लागू होगी। फ्लोर एरिया रेशियो (एफएआर), ग्राउंड कवरेज और प्लॉट की ऊंचाई जैसे पैरामीटर मूल आवासीय योजना के अनुरूप रहेंगे। मूल योजना की बिल्डिंग लाइन का भी रखरखाव किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि रूपांतरण के लिए आवेदन हेतु संपत्ति मालिकों को टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग की अधिसूचना के अनुसार रूपांतरण शुल्क के रूप में 10 रुपये प्रति वर्ग मीटर जांच-शुल्क का भुगतान और वाणिज्यिक कलेक्टर दर का 5त्न विकास शुल्क देना होगा। परिवर्तित क्षेत्र पर उन्हें 160 रूपये प्रति वर्ग मीटर का कंपोजीशन शुल्क भी देना होगा।