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    इजरायल-अमेरिका से अकेले भिड़े खामेनेई, जानें बूढ़े बादशाह की ताकत-कमजोरियां

    इजरायल और अमेरिका के साथ बढ़ते टकराव के बीच, ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई एक बार फिर सुर्खियों में हैं। 85 वर्षीय खामेनेई 1989 से ईरान के सुप्रीम लीडर हैं और देश की सबसे शक्तिशाली शख्सियत माने जाते हैं। अयातुल्ला खामेनेई का शासन विलायत-ए-फक़ीह (इस्लामिक न्यायविद का शासन) के सिद्धांत पर आधारित है। उनकी शक्तियां असीमित हैं और वे देश की सभी प्रमुख संस्थाओं पर पूर्ण नियंत्रण रखते हैं। सैन्य व्यवस्था से लेकर अर्थव्यवस्था तक, उनकी मंजूरी के बिना ईरान में पत्ता तक नहीं हिलता। लेकिन मौजूदा हालात में, क्या यह बूढ़ा बादशाह अकेला पड़ गया है? पाकिस्तान के दम पर ईरान ने परमाणु हमले की धमकी दी थी, लेकिन पाकिस्तान ने हाथ खड़े करते हुए साथ देने से इंकार कर दिया। खाड़ी देश भी उनके साथ नहीं हैं। अमेरिका के खौफ से मुस्लिम देश भी खुलकर सामने नहीं आ रहे हैं।

    • खामेनेई का शासन और शक्तियां
    • सेना और सुरक्षा : वे सशस्त्र बलों के कमांडर-इन-चीफ हैं और इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉप्र्स (आईआरजीसी) सहित सभी सैन्य, खुफिया और सुरक्षा सेवाओं के प्रमुखों की नियुक्ति करते हैं। ईरान की घरेलू और विदेश नीति तय करने में उनका अंतिम निर्णय होता है।
    • न्यायपालिका और मीडिया : न्यायपालिका और राज्य मीडिया पर भी उनका पूर्ण नियंत्रण है। वे सर्वोच्च न्यायिक प्राधिकरण हैं।
    • राजनीतिक नियंत्रण : वे राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों को वीटो कर सकते हैं और सरकार की सामान्य नीतियों को भी निर्देशित करते हैं। उनकी मंजूरी के बिना कोई भी बड़ा राजनीतिक या आर्थिक फैसला नहीं हो सकता।
    • अधिकार और नेटवर्क : उनके पास लगभग 2000 प्रतिनिधि हैं, जिनमें गार्जियन काउंसिल के सदस्य, रक्षा, खुफिया और विदेश मामलों के मंत्री शामिल हैं। उनका प्रभाव सिर्फ ईरान में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के शिया मुसलमानों पर है।
    • जानें कैसे अकेला पड़ा बूढ़ा बादशाह?
    • हालिया इजरायली हमलों में खामेनेई के कई करीबी सैन्य कमांडरों, विशेषकर आईआरजीसी के शीर्ष अधिकारियों की हत्याओं ने उनके आंतरिक सर्कल को काफी कमजोर कर दिया है। जनरल गुलाम अली राशिद और हाल ही में अली शादमानी जैसे महत्वपूर्ण कमांडरों की मौत ने खामेनेई के भरोसेमंद नेटवर्क को गहरा झटका दिया है। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि इन लगातार हमलों और बढ़ते अंतरराष्ट्रीय दबाव के कारण खामेनेई, जो अपनी सावधानी और जिद्दी स्वभाव के लिए जाने जाते हैं, अब मुश्किल स्थिति में हैं। उनके सुरक्षा और रक्षा नीति को लेकर लिए गए फैसले अब बेहद खतरनाक माने जा रहे हैं। यद्यपि उन्होंने 1999, 2009 और 2022 के भारी प्रदर्शनों को सफलतापूर्वक कुचला है, इजरायल के साथ उनका मौजूदा दांव गलत साबित होता दिख रहा है।
    • फिलहाल गुप्त स्थान पर
    • कुछ रिपोट्र्स बताती हैं कि बढ़ती इजरायल-ईरान तनाव के बीच खामेनेई ने अपनी महत्वपूर्ण शक्तियां आईआरजीसी को सौंप दी हैं और वे खुद एक गुप्त सुविधा में चले गए हैं ताकि उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके और कमान बनी रहे। यह स्थिति बताती है कि इजरायल के हमलों ने उन्हें व्यक्तिगत और रणनीतिक दोनों स्तरों पर दबाव में ला दिया है, जिससे कभी अकेला पत्ता भी न हिलने देने वाले बादशाह पर अनिश्चितता के बादल मंडरा रहे हैं।
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