नव-निर्वाचित उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन का जीवन एक छात्र नेता से लेकर देश के दूसरे सर्वोच्च पद तक पहुंचने की एक प्रेरणादायक कहानी है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के स्वयंसेवक के रूप में सार्वजनिक जीवन में कदम रखने वाले राधाकृष्णन ने अपनी विनम्र और सुलभ छवि के कारण जनता के बीच लोकप्रियता हासिल की है। उनके समर्थक उन्हें प्यार से “तमिलनाडु का मोदी” कहकर पुकारते हैं।
राजनीतिक और संगठनात्मक यात्रा
राधाकृष्णन की राजनीतिक यात्रा 1974 में भारतीय जनसंघ की राज्य कार्यकारिणी समिति के सदस्य के रूप में शुरू हुई। बाद में, 1996 में उन्हें तमिलनाडु में भाजपा का सचिव नियुक्त किया गया। संगठन में उनकी मजबूत पकड़ का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वह 2004 से 2007 तक तमिलनाडु प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष रहे। इस दौरान, उन्होंने 93 दिनों में 19,000 किलोमीटर की लंबी रथ यात्रा निकाली, जिसका उद्देश्य देश की नदियों को जोड़ना, आतंकवाद का उन्मूलन, और समान नागरिक संहिता जैसे मुद्दों पर जागरूकता फैलाना था। 2020 से 2022 तक, उन्होंने केरल भाजपा के प्रभारी के रूप में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
संसदीय जीवन और राज्यपाल का पद
राधाकृष्णन दो बार, 1998 और 1999 में, कोयंबटूर से लोकसभा के लिए चुने गए। सांसद के रूप में उन्होंने संसदीय स्थायी समिति (कपड़ा मंत्रालय) के अध्यक्ष के रूप में काम किया और स्टॉक एक्सचेंज घोटाले की जांच के लिए बनी विशेष संसदीय समिति के सदस्य भी रहे। हालांकि, 2004, 2014 और 2019 में उन्हें कोयंबटूर से हार का सामना करना पड़ा।
उपराष्ट्रपति पद के लिए चुने जाने से पहले, वह महाराष्ट्र के राज्यपाल थे। इससे पहले, फरवरी 2023 में उन्हें झारखंड का राज्यपाल बनाया गया था, जहां उन्होंने तेलंगाना और पुडुचेरी के राज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार भी संभाला। इन पदों पर रहते हुए, उन्होंने दक्षिण भारत में भाजपा के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
व्यक्तिगत जीवन और उपलब्धियां
सीपी राधाकृष्णन का जन्म 20 अक्टूबर, 1957 को तमिलनाडु के तिरुप्पुर में हुआ था। उनके माता-पिता ने उनका नाम चंद्रपुरम पोन्नुसामी राधाकृष्णन रखा, ताकि वह देश के पहले उपराष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की तरह बनें। यह एक सुखद संयोग है कि दोनों ही राधाकृष्णन तमिलनाडु से हैं।
अपनी उच्च शिक्षा के दौरान, उन्होंने 1978 में बीबीए की डिग्री हासिल की और राजनीति विज्ञान में पीएचडी भी की। वह खेलों के भी शौकीन रहे हैं, कॉलेज में टेबल टेनिस चैंपियन थे और क्रिकेट व वॉलीबॉल भी पसंद करते थे।
राधाकृष्णन ने 2004 में संसदीय प्रतिनिधिमंडल के हिस्से के रूप में संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित किया था। 2016 में, उन्हें कोच्चि स्थित कॉयर बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया, जहां उनके नेतृत्व में नारियल रेशे के निर्यात में रिकॉर्ड वृद्धि हुई।
कुल मिलाकर, सीपी राधाकृष्णन का जीवन कड़ी मेहनत, समर्पण और सार्वजनिक सेवा का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जो उन्हें भारत के दूसरे सबसे बड़े संवैधानिक पद के लिए एक योग्य उम्मीदवार बनाता है।