जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने आतंकवादियों से कथित संबंध रखने के आरोप में तीन और सरकारी कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया है। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ये यह कार्रवाई की है, जो सरकारी संस्थानों में छिपे आतंकवादियों के मददगारों पर लगातार सख्ती दिखा रहे हैं। जिन कर्मचारियों को बर्खास्त किया गया है, उनमें एक पुलिस कांस्टेबल, एक स्कूल शिक्षक और श्रीनगर के सरकारी मेडिकल कॉलेज में एक जूनियर सहायक शामिल हैं।
इन पर हुई कार्रवाई
बर्खास्त किए गए कर्मचारियों की पहचान मलिक इश्फाक नसीर (पुलिस कांस्टेबल), एजाज अहमद (स्कूल शिक्षा विभाग में शिक्षक) और वसीम अहमद खान (सरकारी मेडिकल कॉलेज, श्रीनगर में जूनियर सहायक) के रूप में की गई है। अधिकारियों ने बताया कि ये तीनों व्यक्ति वर्तमान में जेल में बंद हैं और इनके खिलाफ आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप हैं। अधिकारियों के अनुसार, इन कर्मचारियों को संविधान के अनुच्छेद 311(2)(c) के तहत बर्खास्त किया गया है, जो राज्य की सुरक्षा के हित में बिना किसी जांच के बर्खास्तगी की अनुमति देता है। यह कदम जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के पारिस्थितिकी तंत्र को तोडऩे और सरकारी ढांचे में छिपे ओवरग्राउंड वर्कर्स ((OGWs) व हमदर्दों को बेनकाब करने के प्रशासन के बड़े अभियान का हिस्सा है। बता दें कि पुलिस कांस्टेबल मलिक इश्फाक नसीर पर लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े होने और हथियार व विस्फोटक सामग्री की तस्करी में मदद करने का आरोप है। एजाज अहमद, जो एक शिक्षक था, पर हिजबुल मुजाहिदीन के लिए काम करने और हथियारों, गोला-बारूद और नशीले पदार्थों की तस्करी में सक्रिय रूप से मदद करने का आरोप है। वहीं, वसीम अहमद खान पर भी आतंकी संगठनों के साथ मिलकर काम करने का आरोप है।
75 से अधिक सरकारी कर्मचारियों पर कार्रवाई
उपराज्यपाल सिन्हा ने अगस्त 2020 में कार्यभार संभालने के बाद से 75 से अधिक सरकारी कर्मचारियों को कथित आतंकी संबंधों के आरोप में बर्खास्त किया है। प्रशासन ने सरकारी नियुक्तियों के लिए पुलिस सत्यापन को भी अनिवार्य करके स्क्रीनिंग प्रक्रिया को सख्त कर दिया है। यह कार्रवाई जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ शून्य सहिष्णुता की नीति को दर्शाती है और सुरक्षा एजेंसियों को घाटी में शांति स्थापित करने में मदद कर रही है।