उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे ने भारतीय राजनीति में हलचल मचा दी है, और विपक्षी दलों ने इस पर अपनी तीव्र प्रतिक्रिया व्यक्त की है। जहां धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया है, वहीं विपक्ष का मानना है कि इस इस्तीफे के पीछे कहीं अधिक कारण छिपे हैं।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने धनखड़ के इस्तीफे को “चौंकाने वाला” और “अस्पष्ट” बताया। उन्होंने कहा कि सोमवार शाम तक वे धनखड़ के साथ थे और उनसे फोन पर भी बात हुई थी, लेकिन कहीं भी इस्तीफे का संकेत नहीं मिला। रमेश ने टिप्पणी की, “कोई संदेह नहीं कि धनखड़ साहब को अपने स्वास्थ्य को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी है। लेकिन स्पष्ट रूप से, उनके अप्रत्याशित इस्तीफे में जो दिख रहा है, उससे कहीं अधिक है।” उन्होंने प्रधानमंत्री से धनखड़ को अपना फैसला बदलने के लिए राजी करने का भी आग्रह किया।
समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद जावेद अली खान ने भी हैरानी जताते हुए कहा कि धनखड़ सदन में ठीक दिख रहे थे और उन्हें किसी स्वास्थ्य समस्या का एहसास नहीं हुआ। उन्होंने कहा, “आज ऐसा नहीं लगा कि कोई स्वास्थ्य समस्या है, लेकिन अगर कोई समस्या है, तो हम भगवान से उनके स्वस्थ रहने की प्रार्थना करते हैं।”
सीपीआई (एम) के राज्यसभा सांसद जॉन ब्रिटास ने कहा कि वह “स्वास्थ्य से परे इस्तीफे के कारणों की खबर से परेशान” हैं। उन्होंने कहा, “पूरा सदन उनके साथ काम कर रहा था – आज भी। यह चौंकाने वाला है कि उन्होंने इस्तीफा दे दिया है।”
कई विपक्षी नेताओं ने इस्तीफे के समय पर सवाल उठाए हैं, खासकर जब यह संसद के मानसून सत्र के पहले दिन ही आया है। उनका कहना है कि अगर स्वास्थ्य कारण था तो इस्तीफा कुछ दिन पहले या सत्र के बाद भी दिया जा सकता था। कुछ नेताओं ने यह भी संकेत दिया है कि इस कदम के पीछे राजनीतिक कारण हो सकते हैं, या यह फैसला दबाव में लिया गया हो सकता है।
कुल मिलाकर, विपक्षी दलों ने जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर न केवल हैरानी जताई है, बल्कि इसके पीछे के वास्तविक कारणों को लेकर भी गंभीर सवाल खड़े किए हैं, जिससे आने वाले दिनों में राजनीतिक बहस और तेज होने की संभावना है।