कांग्रेस मुख्यालय के बाहर इंदिरा होना आसान नहीं और भारत को इंदिरा की याद आती है.. नारे वाले होर्डिंग लगाए गए, जिससे राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज हो गई है। ये होर्डिंग ऐसे समय में लगाए गए हैं, जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है और ऑपरेशन सिंदूर को लेकर हुए सीजफायर पर विपक्ष सरकार पर हमलावर है। कांग्रेस के इन होर्डिंग को 1971 के युद्ध के दौरान इंदिरा गांधी के नेतृत्व और हालिया घटनाक्रमों की तुलना के रूप में देखा जा रहा है। कांग्रेस नेताओं का मानना है कि इंदिरा गांधी ने उस समय जिस दृढ़ता और साहस का परिचय दिया था, उसकी आज देश को जरूरत है।
इंदिरा ने समझौता नहीं किया
इन होर्डिंग के माध्यम से कांग्रेस यह संदेश देना चाहती है कि इंदिरा गांधी ने राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर कभी समझौता नहीं किया और उन्होंने हमेशा देश को प्राथमिकता दी। कांग्रेस के अनुसार, इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान को विभाजित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और उन्होंने भारत को एक मजबूत राष्ट्र के रूप में स्थापित किया था।
राजनीतिक बढ़त लेने की रणनीति
कांग्रेस के इन होर्डिंग को लेकर राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह कांग्रेस की एक राजनीतिक रणनीति है, जिसके माध्यम से वह इंदिरा गांधी के नेतृत्व को याद दिलाकर वर्तमान सरकार पर निशाना साध रही है। कांग्रेस यह दिखाना चाहती है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर उनके नेतृत्व में सरकार ने अधिक निर्णायक और साहसिक कदम उठाए थे। हालांकि, भाजपा ने कांग्रेस के इन होर्डिंग को राजनीतिक अवसरवादिता करार दिया है। भाजपा नेताओं का कहना है कि कांग्रेस इंदिरा गांधी के नाम का इस्तेमाल सिर्फ राजनीतिक लाभ के लिए कर रही है। उनका कहना है कि वर्तमान सरकार भी राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर पूरी तरह से सतर्क और प्रतिबद्ध है।