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    गुलामी के कठिन दौर में भी आवाज बनी.. हिंदी दिवस पर अमित शाह ने दिया संदेश

    हिंदी दिवस 2025 के अवसर पर, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने देशवासियों को शुभकामनाएं दीं और हिंदी तथा अन्य भारतीय भाषाओं के महत्व पर जोर दिया। शाह ने कहा कि भारत मूलतः एक भाषा प्रधान देश है, और हमारी भाषाएं सदियों से संस्कृति, इतिहास और परंपराओं को अगली पीढ़ी तक पहुंचाती रही हैं।

    भारतीय भाषाओं का योगदान

    शाह ने अपने संबोधन में कहा कि भाषाओं ने हर परिस्थिति में संवाद और अभिव्यक्ति के माध्यम से लोगों को एकजुट किया है। उन्होंने गुलामी के दौर को याद करते हुए कहा कि भारतीय भाषाएं उस समय प्रतिरोध की आवाज बनीं। उन्होंने बताया कि ‘वंदे मातरम’ और ‘जय हिंद’ जैसे नारे हमारी भाषाई चेतना से ही उपजे थे।

    हिंदी को राजभाषा का दर्जा

    मंत्री ने 14 सितंबर 1949 को देवनागरी लिपि में लिखी गई हिंदी को राजभाषा के रूप में अपनाने के संविधान निर्माताओं के निर्णय का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि यह निर्णय भारतीय भाषाओं की क्षमता और महत्ता को देखते हुए लिया गया था।

    सरकारी कामकाज में हिंदी का प्रयोग

    अमित शाह ने 2014 के बाद से सरकारी कामकाज में हिंदी के प्रयोग को लगातार बढ़ावा दिए जाने पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य यह है कि हिंदी और अन्य भारतीय भाषाएं केवल संवाद का माध्यम न रहें, बल्कि वे तकनीक, विज्ञान, न्याय, शिक्षा और प्रशासन की धुरी बनें। शाह ने अपने संबोधन का समापन करते हुए कहा कि भारतीय भाषाओं ने हमेशा समाज को आत्मबल का मंत्र दिया है।

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