मिशन 2024 के लिए इंडिया गठबंधन और एनडीए गठबंधन में कड़ी टक्कर है या फिर मुकाबला आसान है, यह समझना हर राजनीतिक पंडित के लिए या तो पेचीदा है या एकदम आसान। केंद्र में मोदी सरकार तीसरी बार जनता से जनादेश मांग रही है, तो इंडिया गठबंधन को उम्मीद है कि उसकी खिचड़ी इस बार जरूर पक जाएगी। दरअसल जब पहली बार मोदी केंद्र में तो लहर स्पष्ट नजर आ रही थी। हर तरफ मोदी-मोदी की गूंज थी। बावजूद इसके मोदी की अगुवाई में भाजपा 272 सीटें जुटाकर स्पष्ट बहुमत हासिल करने में कामयाब हो गई। जब 2019 आया तो कांग्रेस और उसकी सहयोगियों को कड़े मुकाबले की उम्मीद थी। लेकिन उससे पहले पुलवामा अटैक और फिर एयर स्ट्राइक ने मोदी की स्थिति मजबूत कर दी। नतीजा यह हुआ कि भाजपा 300 के पार जाने में कामयाब हुई। अब भाजपा और मोदी ने 400 पार का नारा दिया है। ऐसे में अब चर्चा इस बात की नहीं है कि कौन जीतेगा, बल्कि चर्चा यह है कि क्या वाकई एनडीए गठबंधन 400 पार करेगा या बीजेपी 370 के पार हो पाएगी।
दो कमजोर कड़ी, जो बन सकती है बीजेपी की मजबूती
इंडिया गठबंधन की 2 कमजोर कडिय़ां हैं, जिनसे पार पाना कांग्रेस और अन्य पार्टियों के लिए चुनौती है। पहली कमजोरी नेतृत्वहीनता की है। यानि इंडिया गठबंधन में ऐसा कोई नेता नहीं है, जो पूरे देश की जनता को लुभा सके। राहुल गांधी, ममता बनर्जी, मल्लिकार्जुन खरगे, अखिलेश यादव, लालू यादव या अन्य नेताओं में वह करिश्मा नहीं है, जो जनता की अपनी ओर खींच पाए। अरविंद केजरीवाल इन दिनों जेल में हैं, तो इसका क्या असर होगा, कहना मुश्किल है। दूसरी कमजोरी है एकता की। ममता बनर्जी अलग चुनाव लड़ रही हैं तो नीतीश बाबू एनडीए के पाले में जा चुके हैं। यह बिखराव ही बीजेपी की राह आसान कर देगा। इसके अलावा बीजेपी तो यही चाहती है कि मुकाबला मोदी बनाम राहुल हो, ताकि जनता को 2 ही विकल्प नजर आएं। इसलिए मोदी और भाजपा भी राहुल गांधी को ही टारगेट करती है।