लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा और कांग्रेस ने कमर कस ली है और राहुल गांधी भारत जोड़ो न्याय यात्रा पर निकले हैं। लेकिन लगता है कि इस यात्रा के दौरान ही कांग्रेस में टूट होने लगी है। मप्र की कहानी तो कुछ ऐसी ही है। बिहार, महाराष्ट्र में भी कांग्रेस को झटका ही लगा है। खबर यह भी है कि महाराष्ट्र के एक पूर्व सीएम भी जल्द ही भाजपा का दामन थाम सकते हैं। मप्र के सीएम डॉ. मोहन यादव का तो कहना है कि पार्टी में शामिल होने के लिए वेटिंग चल रही है और कांग्रेस नेता भाजपा में आने के लिए आतुर दिख रहे हैं।
क्या राममंदिर का आमंत्रण ठुकराकर कांग्रेस ने गलती कर दी
उप्र के कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम अपनी ही पार्टी के खिलाफ मुखर हैं। उन्होंने 22 जनवरी के रामलला प्राण प्रतिष्ठा का आमंत्रण ठुकराने पर कई बार अपनी ही पार्टी को घेरा। इसके बाद कांग्रेस ने फरमान जारी किया कि जो राज्य इकाईयां चाहें, वे अयोध्या जा सकती हैं, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। देशभर में नैरेटिव सेट हो गया कि कांग्रेस ने आमंत्रण ठुकरा दिया है। अब उसके साइड इफेक्ट आने लगे हैं। मप्र के जबलपुर से कांग्रेस के महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू कल भाजपा में शामिल हुए तो उन्होंने यही बात कही कि वे कांग्रेस आलाकमान के श्रीराम मंदिर समारोह के आमंत्रण ठुकराए जाने से क्षुब्ध थे और इसलिए वे भाजपा में शामिल हो गए। कुछ ऐसा ही पूर्व एडवोकेट जनरल शशांक शेखर ने कहा है। उनका कहना है कि राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के आमंत्रण की काग्रेस के शीर्ष नेतृत्व द्वारा उपेक्षा से उन्हें गहरा दुख हुआ। तभी से पार्टी छोडऩे का मन बना लिया था। अब देखना होगा कि राममंदिर के मुद्दे पर क्या कांग्रेस बिखराव के मोड़ पर आ जाएगी या अभी भी स्थिति संभाली जा सकती है।