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    गाजा में होगी अंतरराष्ट्रीय बल की तैनाती; UNSC ने ट्रंप के प्लान को दी मंजूरी

    संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UN Security Council) ने गाजा पट्टी में शांति और स्थिरता लाने के उद्देश्य से अमेरिका द्वारा पेश की गई एक योजना को मंजूरी दे दी है। इस प्रस्ताव को 13-0 के बहुमत से पारित किया गया, जिसमें रूस और चीन ने मतदान से दूरी बनाए रखी। इस महत्वपूर्ण कदम ने गाजा में एक अंतरराष्ट्रीय स्थिरीकरण बल (International Stabilization Force – ISF) की तैनाती का रास्ता खोल दिया है। इस मंजूरी के बाद, उन देशों के लिए कानूनी ढाँचा तैयार हो गया है जो गाजा में शांति स्थापित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय बल में सैनिकों का योगदान करना चाहते हैं।

    प्रस्ताव के मुख्य बिंदु:

    • अंतरराष्ट्रीय बल की तैनाती: प्रस्ताव ‘बोर्ड ऑफ पीस’ (Board of Peace – BoP) नामक एक संक्रमणकालीन प्रशासनिक निकाय को गाजा में एक अस्थायी अंतरराष्ट्रीय स्थिरीकरण बल (ISF) स्थापित करने और तैनात करने का अधिकार देता है। इस बल का मुख्य उद्देश्य सुरक्षा सुनिश्चित करना, आतंकवादी बुनियादी ढांचे को खत्म करना, और गाजा के विसैन्यीकरण (Demilitarization) में सहायता करना होगा।
    • युद्धविराम योजना का समर्थन: यह प्रस्ताव अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा घोषित 20-सूत्रीय व्यापक युद्धविराम योजना का समर्थन करता है, जिसके तहत इजरायल और हमास के बीच युद्धविराम हुआ था।
    • फलस्तीनी राज्य की राह: संशोधित प्रस्ताव में भविष्य में एक स्वतंत्र फलस्तीनी राज्य की संभावित राह का भी जिक्र है। यह उन अरब और मुस्लिम देशों की मांगों को ध्यान में रखकर जोड़ा गया है, जिन्होंने अंतर्राष्ट्रीय बल में सैनिक भेजने की इच्छा जताई है।
    • शांति बोर्ड का गठन: प्रस्ताव में ‘बोर्ड ऑफ पीस’ (BoP) के गठन का भी स्वागत किया गया है, जो गाजा में एक संक्रमणकालीन प्रशासन के रूप में काम करेगा और पुनर्निर्माण प्रयासों का समन्वय करेगा।

    अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

    अमेरिकी राजदूत माइक वॉल्ट्ज ने इसे “स्थिर गाजा की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम” बताया, जो क्षेत्र के सभी लोगों के लिए एक नया रास्ता तय करेगा। हालांकि, हमास ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया है, उनका कहना है कि यह फलस्तीनियों की “राजनीतिक और मानवीय मांगों” को पूरा नहीं करता है। इज़रायली प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने स्वतंत्र फलस्तीनी राज्य के विचार का विरोध करना जारी रखा है, जिससे इस योजना के पूर्ण कार्यान्वयन पर सवाल खड़े होते हैं।

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