अमेरिकी संघीय अपील अदालत ने डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए कई टैरिफों को अवैध घोषित किया है। अदालत ने पाया कि ट्रंप प्रशासन ने टैरिफ लगाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय आपातकालीन आर्थिक शक्तियां अधिनियम (IEEPA) का दुरुपयोग किया, जो कि केवल प्रतिबंधों और संपत्ति की जब्ती के लिए होता है, न कि कर लगाने के लिए। अदालत का कहना है कि अमेरिकी संविधान के तहत, दूसरे देशों के साथ व्यापार को नियंत्रित करने का अधिकार सिर्फ कांग्रेस को है, राष्ट्रपति को नहीं।
भारत पर लगे आयात शुल्क और आगे की राह
अदालत के इस फैसले के बावजूद, भारत पर लगाए गए आयात शुल्क अभी भी लागू हैं। ट्रंप प्रशासन ने भारत से आने वाले कपड़ा, रत्न, आभूषण, समुद्री भोजन, और चमड़े के सामान सहित कई प्रमुख उत्पादों पर शुल्क को 25% से बढ़ाकर 50% कर दिया है। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब रूस-यूक्रेन संघर्ष के बीच भारत द्वारा रूस से तेल खरीदने को लेकर अमेरिका की नाराजगी बढ़ गई थी। इस 50% टैरिफ से भारतीय निर्यातकों को भारी नुकसान हो रहा है, जिससे वे अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धा नहीं कर पा रहे हैं।
फिलहाल, इस फैसले से भारत को सीधी राहत मिलने की संभावना कम है क्योंकि ट्रंप ने अदालत के फैसले के बावजूद टैरिफ को जारी रखने की बात कही है। उन्होंने यह भी कहा है कि टैरिफ हटाने से अमेरिकी अर्थव्यवस्था को नुकसान होगा। हालाँकि, ट्रंप प्रशासन ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का समय मांगा है, जिसका फैसला आने पर ही आगे की स्थिति साफ हो पाएगी।
भारत भी अपनी रणनीति बना रहा है। सरकार ने अमेरिका के टैरिफ के प्रभाव को कम करने के लिए 40 नए बाजारों की पहचान की है, जिनमें जापान, जर्मनी, फ्रांस, और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं। इसके अलावा, भारत ने कुछ उत्पादों, जैसे कपास, पर आयात शुल्क को कम करके घरेलू उद्योग को सहारा देने की कोशिश की है। इन सबके बावजूद, जब तक अमेरिकी अदालत का अंतिम फैसला नहीं आता, भारतीय निर्यातकों के लिए चुनौतियां बनी रहेंगी।