जनरल वीके सिंह उप्र के गाजियाबाद से सांसद हैं और वे चुनाव की तैयारियों में भी जुटे थे। रविवार को उन्होंने होली मिलन कार्यक्रम भी रखा था। लेकिन कुछ ही घंटों में पूरे समीकरण उलट-पुलट गए। उनके नजदीकी भी आश्वस्त थे कि टिकट वीके सिंह को ही मिलेगी, लेकिन ऐसा हो न सका। होली मिलन कार्यक्रम के बाद ही उन्हें संदेशा आया और उन्होंने ऐलान कर दिया कि वे चुनाव नहीं लड़ेंगे। कुछ देर बाद ही उनका टिकट कटा और भाजपा ने गाजियाबाद से विधायक अतुल गर्ग को टिकट थमा दिया। वीके सिंह 2014 और 2019 में गाजियाबाद से रिकॉर्ड वोटों से जीते थे और मोदी सरकार में मंत्री भी बनाए गए थे।
ऐसे बदल गई तस्वीर
दरअसल पिछले डेढ़ वर्षों से वीके सिंह के जिले के विधायकों और संगठन के साथ रिश्ते ठीक नहीं थे। रिश्तों में खींचतान के बीच कई बार आरोप-प्रत्यारोप लगे। वीके सिंह ने इसकी शिकायत पार्टी संगठन से की। लेकिन पार्टी का प्रदेश संगठन अपने विधायकों के साथ खड़ा रहा। वीके सिंह 2 माह से क्षेत्र में सक्रिय थे, लेकिन पार्टी को लग रहा था कि चुनाव में नुकसान हो सकता है। स्थानीय विधायकों की नाराजगी से पांसा यहां पलट सकता था। यही वजह है कि शाह और नड्डा ने संदेश भेजा और फिर वीके सिंह को अपनी उम्मीदवारी वापस लेनी पड़ी। संगठन में सुनील बंसल के वापस आने से भी वीके सिंह की मुश्किलें बढ़ीं। अतुल गर्ग के संगठन के कई पदाधिकारियों सहित प्रदेशा अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी से बेहतर संबंध रहे, जिसके कारण उन्हें टिकट मिल गई।